वित्त मंत्री अरुण जेटली उद्योग संघ की एक बैठक में कह चुके हैं, ‘जीएसटी एक ऐसा विचार है जो निःसंदेह आज नहीं तो कल मंजूर हो ही जाएगा। हम इस विधेयक को पारित कराने से पहले के कष्ट से जूझ रहे हैं।’ कांग्रेस नेता भी कह चुके हैं कि एक अप्रैल से जीएसटी लागू होना संभव नहीं है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि वेंकैया नायडू ने मल्लिकार्जुन खड़गे और आनंद शर्मा को बैठक में नहीं बुलाया। वजह चाहे जो भी हो, एक अप्रैल 2016 से इसे लागू करने का तो सवाल ही नहीं उठता।
विश्वस्त सरकारी सूत्रों का कहना है, ‘अप्रैल के बाद कांग्रेस के 12 राज्यसभा सांसद कम होने वाले हैं जबकि भाजपा के 12 सदस्य बढ़ जाएंगे। हालांकि इसमें जीएसटी का विरोध कर रही अन्नाद्रमुक के सदस्यों की संख्या अप्रैल के बाद बढ़ जाएगी और उसे उम्मीद है कि उसके नामित सदस्यों की संख्या सीमित कोटे से अधिक होगी। कांग्रेस के सदस्यों की संख्या कम होने से भाजपा के लिए बजट सत्र के दूसरे कार्यकाल के बाद जीएसटी विधेयक पारित कराना ज्यादा आसान हो जाएगा। फिलहाल जीएसटी के समर्थन में लगभग 160 सदस्य हैं जो अप्रैल के बाद बढ़कर 180 से 190 भी हो सकती है और यह संख्या कांग्रेस वीटो अधिकार से आगे निकल जाएगी।’
इस लिहाज से अब सरकार ने भी मन बना लिया है कि जीएसटी विधेयक को बजट सत्र के दूसरे कार्यकाल में ही पेश किया जाए। सत्तारूढ़ पार्टी को उम्मीद है कि अप्रैल के बाद उसके पास पर्याप्त संख्या में राज्यसभा सांसद हो जाएंगे इसलिए यह उचित वक्त रहेगा। मुख्य विपक्षी दल के नेताओं ने नायडू और जेटली के साथ बैठक में शामिल नहीं होने का बहाना बना लिया कि लोकसभा में उनके नेता अभी उपलब्ध नहीं हैं।