भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि फिलहाल ब्याज दर ऊंची बनी रहने की आशंका है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक पूरी तरह सतर्क है और महंगाई में कमी सुनिश्चित करने के लिये ‘अर्जुन की आंख’ की तरह नजर रखे हुए है।
मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक ने इस साल फरवरी से नीतिगत दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। यह 6.5 प्रतिशत पर बरकरार है। इससे पहले पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। जुलाई में मुद्रास्फीति 7.44 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अब घट रही है और सितंबर में गिरकर पांच प्रतिशत पर आ गई है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य दिया है।कौ टिल्य आर्थिक सम्मेलन 2023’ को संबोधित करते हुए दास ने कहा, ‘‘ ब्याज दर ऊंची बनी रहेंगी। वे कब तक ऊंची रहेंगी यह समय और वैश्विक स्तर पर उभरती स्थिति ही बताएगी।’’
सम्मेलन के दौरान अलग से बातचीत में दास ने कहा कि आरबीआई मुद्रास्फीति की स्थिति पर नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा, ‘‘ हम अतिरिक्त सतर्क हैं और जो भी कदम उठाने की जरूरत होगी हम उठाने को तैयार हैं। हमें मुद्रास्फीति में निरंतर गिरावट देखने की जरूरत है… हमारा लक्ष्य इसे चार प्रतिशत पर लाना है।’ ’अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों पर उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में पट्रोल पंपों पर जो कीमतें हैं, वह मायने रखती हैं। ’’
पश्चिम एशिया में संकट के प्रभाव से जुड़े सवालों पर गवर्नर ने कहा कि पिछले एक पखवाड़े में अमेरिकी बांड के प्रतिफल में वृद्धि हुई है, जिसका अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। कच्चे तेल की कीमतें भी बढ़ी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ ये कुछ अनिश्चितताएं हैं लेकिन वे कुछ मामलों में और अधिक स्पष्ट हो गई हैं। यह तय है कि हर जगह जो कुछ भी हो रहा है उसका असर हम पर पड़ता है इसमें कोई संदेह नहीं है।’’
दास ने कहा, ‘‘भारत के संदर्भ में कुछ बात अलग है। हमारे वृहत आर्थिक बुनियादी मजबूत बने हुए हैं। आखिरकार इस अनिश्चित समय में यह मायने रखता है कि आपके वृहत आर्थिक बुनियाद कितने मजबूत हैं। आपका वित्तीय क्षेत्र कितना मजबूत है। मुझे लगता है कि इन दोनों मापदंडों पर भारत अच्छी स्थिति में है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि डॉलर सूचकांक मजबूत हो गया है और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।