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जीएम फसलों को किसी भी तरह से बढ़ावा न देने की गुहार

नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया को कोलिशन फॉर ए जीएम फ्री इंडिया ने लिखा पत्र
जीएम फसलों को किसी भी तरह से बढ़ावा न देने की गुहार

नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के पास एक गुहार लगाई गई है कि वह अपनी संस्थान की तरफ से कृषि क्षेत्र में चल रहे खतरनाक प्रयोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन न करे। इस पत्र को लिखा है देश में जैव संवधित फसलों के खिलाफ काम करने वाले संगठनों के समूह ने।

कोलिशन फॉर ए जीएम फ्री इंडिया ने नीति आयोग के प्रमुख से मांग की है कि संस्थान की तरफ से इस तरह के शोध पत्र नहीं जारी होने चाहिए जो देश के अन्न उत्पादकों के बारे में भ्रामक जानकारी देने वाले हों। इस गठबंधन ने नीति आयोग द्वारा 16 दिसंबर 2015 को प्रकाशित एक शोधपत्र के विरोध में पत्र लिखा है। यह शोध पत्र कृषि उत्पादकता और खेती को किसानों के लिए लाभदायक बनाने के बारे में था। पत्र में इस बात पर आपत्ति जताई गई है  कि नीति आयोग के इस शोधपत्र में बिना सही तथ्यों के जीएम खेती और फसलों के बारे में  बढ़ा-चढ़ा कर लिखा गया है। हालांकि इस शोध पत्र के साथ यह भी लिखा गया है कि इसमें लिखे गए विचार सरकार या नीति आयोग के नहीं हैं। लेकिन जीएम के खिलाफ आंदोलन करने वाले संगठनों के इस समूह का मानना है कि कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए जीएम को एक उपाय के तौर पर दिखाना तथ्यात्मक नहीं है क्योंकि बीटी कॉटन आदि की वजह से किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला रूक नहीं रहा है। इस समूह को यह आशंका है कि सरकार या सरकार से जुड़े थिंक टैंक किसी न किसी तरह से जीएम खेती को बढ़ावा देने की कोशिश में हैं। इस समूह से जुड़ी हुई कविता कुरूघंती का कहना है कि जब जीएम फसलों के खिलाफ इतने तथ्य उपलब्ध है, तब ऐसे पत्र चिंता पैदा करते हैं। खासतौर से तब जब ऑर्गेनिक फसलों का चलन बढ़ा है, तब इससे उलट बातें पेश हो रही हैं।

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