भारत सरकार का नोटबंदी का फैसला और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का राष्टपति चुना जाना, दो ऐसे कारक हैं जिनका नये साल में कुछ निश्चित क्षेत्रों पर असर पड़ेगा। वैश्विक कार्यकारी नियुक्ति फर्म एंटल इंटरनेशनल इंडिया के प्रबंध निदेशक जोसफ देवासिया ने कहा, उपभोक्ता आधारित क्षेत्रों मसलन एफएमसीसी-सीडी तथा खुदरा ने शुरआत में अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन हालिया नोटबंदी के कदम के बाद बिक्री में भारी गिरावट आई। फिलहाल इन क्षेत्रों में नौकरियां कम हुई हैं और अगले दो साल तक ऐसी ही स्थिति रहने का अनुमान है। हालांकि, उन्होंने कहा कि नोटबंदी से अभी नकारात्मक असर पड़ा है लेकिन अंतत: इससे देश को लाभ होगा और युवाओं को औपचारिक क्षेत्र में अधिक रोजगार उपलब्ध होगा। महिने दर महिने के आधार पर विश्लेषण से पता चलता है कि इस साल नियुक्तियों में वृद्धि का रुख 2015 की तुलना में कमजोर रहा है। वास्तविक वेतनवृद्धि अनुमानित उंचे स्तर पर 20 प्रतिशत के आंकड़े से कम रही। हालांकि यह 10 प्रतिशत की औसत वृद्धि के अनुमान से अधिक रही।
स्टाफिंग सेवा कंपनी टीमलीज की सह संस्थापक ईवीपी रितुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा कि यह साहसिक और निश्चित रूप से औपचारिक क्षेत्र की नौकरियों के लिए एक अनुकूल कदम है। इस तरह के कदमों से विदेशी निवेशकों का भरोसा भी बढ़ता है। विलिस टावर्स वाटसन के अनुसार आगे चलकर अगले 12 महीनों के दौरान सिर्फ 31 प्रतिशत कंपनियों ने ही नियुक्तियों को लेकर सकारात्मक रुख दर्शाया है। 2011 के बाद पहला मौका होगा जब कर्मचारियों के वेतन में 10 प्रतिशत से कम का इजाफा होगा। 2011 के बाद पहली बार भारतीय कर्मचारियों की वेतनवृद्धि एक अंक में रहेगी। वैश्विक रिक्रूटमेंट टेंडरिंग प्लेटफॉर्म माईहायरिंगक्लब.कॉम के अनुसार हालांकि ज्यादातर कंपनियों ने इस साल विभिन्न पेशों में वेतनवृद्धि दी है। लेकिन यह बहुत आकर्षक नहीं रही है। औसत वृद्धि सिर्फ 9 प्रतिशत रही है। वहीं बोनस सिर्फ 10 प्रतिशत रहेगा।