मीडिया खबरों के अनुसार इस फंड का उपयोग कहां किया गया है, इसका पता लगाने के लिए एसबीआई की अगुवाई में बैंक इस सप्ताह मीटिंग करने जा रहे हैं। बैंकों ने एकाउंटेंसी और कंसल्टेंसी फर्म चोकसी एंड चोकसी तथा ग्रांट थार्नटन से आलोक इंडस्ट्री की फोरेंसिक ऑडिट करने के लिए संपर्क किया है। जिसमें फंड डायवर्जन के अलावा ऑडिट में होने वाली किसी भी तरह की गलती का पता लगाया जाएगा। गत दिसंबर में ऑडिट फर्म डेलॉयट ने आलाेक इंडस्ट्री का ऑडिट करना छोड़ दिया था। अमूमन ऐसा कम होता है जब ऑडिट कंपनी फायनेंशियल ईयर के बीच में ही किसी कंपनी का साथ छाेड़ दे। बहरहाल नियम के मुताबिक यह जानकारी स्टाक एक्सचेंज काे दी गई। हालांकि इस बदलाव पर बहुत कम लोगों की नजर पड़ी, क्याेंकि एनालिस्टों ने आलोक इंडस्ट्री को ट्रेंड करना छोड़ दिया था। आलोक इंडस्ट्री के ट्रेंड से हटने के बाद गड़बड़ी की आशंका हुई। इधर आलोक इंडस्ट्री के कार्यकारी निदेशक सुरेंद जिवराजका ने कहा कि डेलॉयट ने कामर्शियल वजह से इस्तीफा दिया था। फायनेंशियल ट्रांन्सेक्शन की साइज और कॉम्प्लेक्स नेचर की वजह से उसने ऑडिट फीस में बढ़ोतरी की मांग की थी। जिसे पूरा करना कंपनी के लिए संभव नहीं था। बैंकों को आलोक इंडस्ट्री की बैलेंस शीट को लेकर शक है, इस पर जिवराजका ने कहा कि बैंकों ने हमसे इस मामले पर कभी भी कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा है।
बैंक एक और माल्या का पता लगाएंगे, दिया था 20 हजार करोड़ का लोन
देश के बैंक एक और माल्या का पता लगाने जा रहे हैं। बैंकों के समूह ने आलोक इंडस्ट्री और उसकी सहयोगी कंपनियों को चार माह पहले 20 हजार करोड़ रुपए का लोन दिया था।

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