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मंत्रिमंडल ने मेगा स्पेक्ट्रम नीलामी को दी मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बड़े पैमाने पर स्पेक्ट्रम नीलामी योजना को मंजूरी दे दी। इससे सरकारी खजाने में 5.66 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि स्पेक्ट्रम नीलामी प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है।
मंत्रिमंडल ने मेगा स्पेक्ट्रम नीलामी को दी मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बड़े पैमाने पर स्पेक्ट्रम नीलामी योजना को मंजूरी दे दी। इससे सरकारी खजाने में 5.66 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि स्पेक्ट्रम नीलामी प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है। सरकार को 2300 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम नीलामी से कम से कम 64,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा दूरसंचार क्षेत्र में विभिन्न शुल्कों तथा सेवाओं से 98,995 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। सूत्रों ने बताया कि नीलामी के लिये मुख्य दस्तावेज, आवेदन आमंत्रित करने का नोटिस संभवत: एक जुलाई को जारी किया जाएगा। इसके बाद 6 जुलाई को बोली पूर्व सम्मेलन होगा। बोलियां एक सितंबर से लगनी शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि, योजना की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है। अंतर मंत्रालयी समिति द्वारा मंजूर नियमों के तहत नीलामी में 700 मेगा हर्ट्ज का प्रीमियम बैंड भी शामिल रहेगा। इस बैंड के लिए आरक्षित मूल्य 11,485 करोड़ रुपये प्रति मेगा हर्ट्ज रखा गया है। इस बैंड में सेवा प्रदान करने की लागत अनुमानत: 2100 मेगा हर्ट्ज बैंड की तुलना में 70 प्रतिशत कम है, जिसका इस्तेमाल 3जी सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाता है। यदि कोई कंपनी 700 मेगा हर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम खरीदने की इच्छुक है, तो उसे अखिल भारतीय स्तर पर 5 मेगा हर्ट्ज के ब्लाक के लिए कम से कम 57,425 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इस बैंड में अकेले 4 लाख करोड़ रुपये की बोलियां आकर्षित करने की क्षमता है। इस स्पेक्ट्रम बिक्री से 5.66 लाख करोड़ रुपये का संभावित राजस्व हासिल होने की उम्मीद है, जो दूरसंचार उद्योग के 2014-15 के 2.54 लाख करोड़ रुपये के सकल राजस्व के दोगुने से भी अधिक होगा। प्रमुख आपरेटरों ने 700 मेगा हर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम नीलामी टालने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि इस बैंड में सेवाएं प्रदान करने का पारिस्थितिकी तंत्र अभी विकसित नहीं हुआ है जिससे कई साल तक स्पेक्ट्रम का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाएगा और उद्योग का पैसा फंसा रहेगा। इसके अलावा समिति ने कुछ सख्त भुगतान शर्तों का भी सुझाव दिया है। हालांकि, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने भुगतान के लिए उदार नियमों का सुझाव दिया था। समिति का सुझाव है कि ऊंचे फ्रीक्वेंसी बैंड एक जीएचजेड से अधिक...मसलन 1800 मेगा हर्ट्ज, 2100 मेगा हर्ट्ज तथा 2300 मेगा हर्ट्ज में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियां 50 प्रतिशत का अग्रिम भुगतान करें और दो साल के स्थगन के बाद शेष राशि की अदायगी 10 साल में करें। पूर्व की नीलामियों में कंपनियों को 33 प्रतिशत अग्रिम भुगतान का विकल्प दिया गया था। इसी तरह एक जीएचजेड से कम स्पेक्ट्रम मसलन 700 मेगा हर्ट्ज, 800 मेगा हर्ट्ज तथा 900 मेगा हर्ट्ज कंपनियां 25 प्रतिशत राशि का अग्रिम भुगतान करें। उसके बाद दो साल की रोक के बाद शेष राशि का भुगतान 10 साल में करें। यह पूर्व की नीलामियों की तर्ज पर ही है, लेकिन ट्राई के सुझावों से भिन्न है।

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