आईओसी, ऑयल इंडिया तथा बीपीसीएल की एक इकाई रूस के पूर्वी साइबेरिया क्षेत्र में तास यूरयाख तेल क्षेत्र में 1.12 अरब डालर में 29.9 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगी। इसके अलावा ये कंपनियां रूस के ही वैन्कॉर तेल क्षेत्र में 2.02 अरब डालर में 23.9 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में कंसोर्टियम को तास यूरयाख नेफ्टेगाजोडोबायचा एलएलसी में 29.9 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण की मंजूरी दी गई। इसके पास स्रेदनेबोटुओबिनस्कोये तेल एवं गैस कंडन्सेट क्षेत्र के परिचालन के दो लाइसेंस है। यह पूर्वी साइबेरिया में सबसे बड़े क्षेत्रों में शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि इस हिस्सेदारी का अधिग्रहण रूस की सरकारी कंपनी रोजनेफ्ट के पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी एलएलसी राजवेदका आई डाबिचा (आरएन अपस्टीम) से किया जाएगा। सेंट्रल ब्लाक के लिए लाइसेंस 2041 तक वैध है। वहीं उत्तरी ब्लाक के लिए यह 2032 तक के लिए है। इसके अलावा कंसोर्टियम रोजनेफ्ट की अनुषंगी जेएसवी वैन्कॉरनेफ्ट में 23.9 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगा। इसके पास पूर्वी साइबेरिया में वैंकॉर तेल क्षेत्र के दो लाइसेंस हैं जो 2112 तक वैध हैं।
अधिकारियों ने कहा कि वैंकॉर की परिसंपत्तियों का मूल्य शून्य रिण तथा कार्यशील पूंजी के आधार पर 31 मई, 2015 को 8.45 अरब डालर आंका गया। इसी के आधार पर अधिग्रहण का मूल्य निकाला गया। यह वही मूल्य है जिसके आधार पर ओएनजीसी की विदेश इकाई ओएनजीसी विदेश ने दिसंबर, 2015 में वैंकॉर की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। यह सौदा इस साल 31 मई को पूरा हुआ। कंपनी ने उसी क्षेत्र में 11 प्रतिशत और हिस्सेदारी के लिए दस्तखत किए हैं। तास फिलहाल 21,000 बैरल प्रतिदिन का तेल उत्पादन कर रही है। इसका 1,00,000 बैरल प्रतिदिन का अधिकतम स्तर 2021 तक हासिल होने की उम्मीद है। वहीं वैंकॉर ने अपने अधिकतम उत्पादन 16.1 करोड़ बैरल को 2014 और 2015 में पार कर लिया है। फिलहाल इस क्षेत्र का उत्पादन 15.4 करोड़ बैरल है।
भाषा