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डायरेक्ट टैक्स कोड पर रिपोर्ट, 55 लाख लाख रुपये तक कमाने वालों को कर राहत देने की सिफारिश

आयकर कानून में आमूल-चूल बदलाव के लिए बनाए जा रहे डायरेक्टर टैक्स कोड (डीटीसी) के नए मसौदे को सरकार ने...
डायरेक्ट टैक्स कोड पर रिपोर्ट, 55 लाख लाख रुपये तक कमाने वालों को कर राहत देने की सिफारिश

आयकर कानून में आमूल-चूल बदलाव के लिए बनाए जा रहे डायरेक्टर टैक्स कोड (डीटीसी) के नए मसौदे को सरकार ने मंजूर कर लिया तो 55 लाख रुपये तक आय पाने वाले लोगों को भी राहत मिल सकती है। यही नहीं, कई वर्षों से कॉरपोरेट टैक्स में राहत की उम्मीद कर रही बड़ी कंपनियों को भी फायदा मिल सकता है।

डीटीसी के टास्क फोर्स ने रिपोर्ट सौंपी

58 साल पुराने आयकर कानून को दुरुस्त करने के लिए डायरेक्ट टैक्स कोड तैयार किया जा रहा है। इसके लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य अखिलेश रंजन की अध्यक्षता में आठ सदस्यों का टास्क फोर्स गठित किया गया था। अखिलेश रंजन ने अपनी रिपोर्ट सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंप दी।

आयकर स्लैबों में बड़े बदलाव की तैयारी

टास्क फोर्स की रिपोर्ट ने आयकर स्लैबों में अच्छी-खासी बढ़ोतरी करने की सिफारिश की है। उसकी सिफारिशों के अनुसार प्रति वर्ष 55 लाख रुपये तक आय प्राप्त करने वालों को भी कर के भार से राहत मिल सकती है। अगर सरकार इन सिफारिशों को स्वीकार कर लेती है तो लोगो को काफी फायदा मिलने की उम्मीद है।

कॉरपोरेट टैक्स घटकर हो सकता है 25 फीसदी

टास्क फोर्स ने इस बिंदु पर गंभीरता से विचार किया है कि कॉरपोरेट टैक्स के मामले में भारत को अमेरिका से टक्कर लेनी होगी। अमेरिका ने कर सुधारों पर आगे बढ़ते हुए पिछले साल कॉरपोरेट टैक्स घटाकर 35 फीसदी से घटाकर 21 फीसदी कर दिया था। इस वजह से भारतीय बाजार विदेशी कंपनियों के लिए कम आकर्षक हो गया। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए टास्क फोर्स ने बड़ी घरेलू और विदेशी कंपनियों पर टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने की सिफारिश की है। इसके अलावा विदेश में पंजीकृत कंपनियों पर 40 फीसदी टैक्स की सिफारिश की है। हालांकि विदेशी कंपनियों की भारतीय शाखाएं अगर अपने विदेशी भागीदार को मुनाफे की राशि भेजती हैं तो उन्हें अलग से टैक्स देना पड़ सकता है। डायरेक्ट टैक्स कोड 2013 के ड्राफ्ट में इसी तरह की सिफारिश की गई थी। हालांकि ताजा रिपोर्ट में कई नई अहम सिफारिशें की गई हैं जो 21वीं सदी की वास्तविकता को देखते हुए आवश्यक माना जा रही हैं।

डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स हटाने का भी सुझाव

जानकारों का कहना है कि कॉरपोरेट टैक्स घटाकर 25 फीसदी करने की सिफारिश सही कदम है। आज के प्रतिस्पर्धा के माहौल में इसकी सख्त जरूरत है। यह सिफारिश इस वजह से भी अहम है कि कंपनियां कई वर्षों से टैक्स घटाने की मांग कर रही है जबकि सरकार ने अभी तक छोटी कंपनियों को ही इस तरह की राहत देने का कदम उठाया है। पिछले महीने पेश आम बजट में वित्त मंत्री ने 400 करोड़ रुपये तक कारोबार वाली कंपनियों के लिए टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने की घोषणा की थी। उनका कहना था कि इससे 99.3 फीसदी कंपनियों को राहत मिलेगी। सिर्फ 0.7 फीसदी कंपनियों को ही इससे ज्यादा टैक्स चुकाना होगा। इन कंपनियों को भी टैक्स से राहत धीरे-धीरे दी जाएगी। वित्त मंत्री ने सोमवार को भी एक कार्यक्रम में कॉरपोरेट टैक्स धीरे-धीरे घटाकर 25 फीसदी करने के संकेत दिए। पिछले साल तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में 250 करोड़ रुपये तक कारोबार वाली कंपनियों के लिए टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने की घोषणा की थी। टाक्स फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में डिविडेंट डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) खत्म करने की भी सिफारिश की है।

असेसिंग ऑफीसर नहीं, असेसमेंट यूनिट का विचार

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि असेसिंग ऑफीसर के स्थान पर असेसमेंट यूनिट बनाने का भी सुझाव दिया है। उसने फेसलेस स्क्रूटनी पर भी जोर दिया है। स्क्रूटनी के लिए केसों का चयन केंद्रीय स्तर पर लॉटरी सिस्टम से करने की व्यवस्था दुरुस्त करने का भी सुझाव दिया है। कर विवाद सुलझाने के लिए करदाताओं को कमिश्नरों के कोलेजियम के समक्ष समझौते की प्रक्रिया अपनाने की भी अनुमति दी जा सकती है। सीबीडीटी ने कर विवादों में अपील के लिए विवादित रकम की सीमा पहले ही काफी बढ़ा दी है ताकि कम से कम मामलों में आगे कानूनी कार्यवाही जारी रहे।

लिटिगेशन मैनेजमेंट यूनिट की भी सिफारिश

सूत्रों के अनुसार टास्क फोर्स ने लिटिगेशन मैनेजमेंट यूनिट बनाने की भी सिफारिश की है जो अपील के योग्य केसों की पहचान से लेकर केस लड़ने की रणनीति बनाने तक पूरी कानूनी प्रक्रिया की देखरेख करेगी। टास्क फोर्स की रिपोर्ट जल्दी ही सार्वजनिक करके उस पर सुझाव मांगे जा सकते हैं। सरकार ने पिछले महीने टास्क फोर्स का कार्य क्षेत्र बढ़ाकर पांच नए क्षेत्रों में भी सुझाव देने को कहा था। इसके साथ ही मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन और संयुक्त सचिव (राजस्व) ऋत्विक पांडेय को भी सदस्य बनाया गया था। रिपोर्ट में फेसलेस और गुमनाम स्क्रूटनी, वित्तीय लेनदेनों के सिस्टम आधारित वेरिफिकेशन के लिए तंत्र, कानूनी विवाद घटाने और अपीलों के जल्द निपटारे पर भी सुझाव दिए गए हैं।

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