सरकार ने दावा किया है कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है। विपक्ष के सुस्त होती अर्थव्यवस्था के आरोपों के बीच आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अर्थव्यवस्था के आधारभूत स्तंभ मजबूत हैं और हम चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं। वित्त मंत्री ने महंगाई में कमी आने की भी बात कही। जेटली ने कांग्रेस उपाध्यक्ष द्वारा जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बताने पर कहा कि टू जी और कोयला घोटाला करने वाले लोगों को वाजिब टैक्स देने से परेशानी है। इस मौके पर मौजूद आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग और वित्त सचिव अशोक लवासा ने आंकड़ों के सहारे बताया कि केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जो सुधार शुरू किए हैं उनका लाभ मिलने लगा है।
सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर जेटली ने कहा कि सरकार के सामने जो भी चुनौती सामने आएगी हम उससे लड़ने के लिए तैयार हैं। जेटली ने कहा कि बडे़ बदलाव लंबे वक्त के लिए जरूरी हैं। जेटली ने कहा कि देश की आर्थिक नीतियों और इसके सुधार को लेकर सरकार में पिछले दिनों काफी विचार विमर्श हुआ है।
वित्त मंत्री ने संकेत दिए कि सरकार बैंकिंग व्यवस्था में रिर्फाम करने जा रही है।
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग ने एक प्रजेंटेशन के माध्यम से वर्तमान अर्थव्यवस्था, मंहगाई, जीएसटी समेत कई मसलों को लेकर कई आंकड़े पेश किए।
सरकार ने दावा किया है कि विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है और 2019 में विकास दर 7 फीसदी तक पहुंचेगी। वहीं सरकार ने जीएसटी भंडार बढ़ने की भी उम्मीद जताई।
सरकार ने भारतमाला प्रोजेक्ट का ऐलान करते हुए बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत 2022 तक 34,800 किमी तक सड़क निर्माण करेगी। वित्तमंत्रालय ने बताया कि 9 हजार किलोमीटर के इकनॉमिक कॉरिडोर बनाए जाएंगे। पूर्वी और पश्चिम बॉर्डर पर 3,300 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाएगा।
वित्त सचिव अशोक लवासा ने बताया कि इस बार 30 हजार करोड़ का निवेश हुआ है, सरकार का लक्ष्य इसे 72 हजार करोड़ तक पहुंचाने का है। सरकार का दूसरा महत्पूर्ण कार्यक्रम आवास परियोजना का है। सौभाग्य योजना के तहत हर घर में बिजली पहुंचाई जाएगी। बैंकिंग सेक्टर को मजबूत करने के लिए सरकार ने योजना बनाई है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी के बाद पब्लिक सेक्टर बैंक मजबूत हुए हैं। उनकी कर्ज देने की क्षमता काफी मजबूत हुई हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक खर्च के मामले में आगे बढ़ना पड़ेगा। यह ढांचागत विकास पर हो रहे खर्च को बढ़ाने में मदद करेगा। जेटली ने कहा कि यह फैसला लिया गया कि बैंकों जरूरी पूंजी मुहैया कराने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे। इसी दिशा में अब सरकार काम करेगी।
खास बातें
-वित्त मंत्री ने कहा कि जब संरचनात्मक सुधार होता है, तो उसमें कुछ अस्थाई रुकावटें भी आ सकती हैं लेकिन इससे मध्यम और दीर्घ अवधि में बहुत अधिक लाभ होता है।
-आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि वास्तविक जीडीपी विकास की औसत दर पिछले तीन वर्षों में 7.5 फीसदी रही है। अर्थव्यवस्था के संकेत बता रहे हैं कि बुरा दौर खत्म हो गया है और अब हम उच्च विकास के रास्ते पर चल रहे हैं। अगली की तिमाहियों में आर्थिक विकास दर में वृद्धि जारी रहेगी।
-मुद्रास्फीति कम है। महंगाई काबू में है। विदेशी मुद्रा का भंडार 400 अरब डॉलर से अधिक पर पहुंच गया है। विदेश प्रत्यक्ष निवेश लगातार जारी है और इसके साथ ही सरकार राजकोषीय घाटे पर लगातार नज़र रखे हुए है।
- भारत का चालू खाता घाटा नियंत्रण में है. यह फिलहाल सेफ जोन में है और 2 फीसदी से नीचे है. यह सब नोटबंदी के कारण संभव हुआ है।
-वित्त सचिव अशोक लवासा ने बुनियादी ढांचे पर सरकार के खर्च पर "अधिक रोजगार, अधिक विकास पैदा करने" नाम से एक प्रस्तुति दी, जिसमें बताया गया है कि अगले पांच वर्षों में करीब 7 लाख करोड़ रुपये की लागत से 83,677 किलोमीटर की राजमार्गों का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि इस योजना से 14 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार पैदा होगा।