खाद्य सुरक्षा कानून सन 2013 में संसद में पारित हुआ था और राज्य सरकारों को इसे लागू करने के लिए एक साल का समय दिया गया था। लेकिन तब से अब तक तीन बार इसकी समय सीमा बढ़ाई गई है और सबसे हाल की समय सीमा सितंबर में बढ़ाई गई थी। इस कानून के तहत देश की दो-तिहाई आबादी के प्रत्येक व्यक्ति को सब्सिडी मूल्य पर पांच किलो अनाज दिए जाने का प्रावधान है।
राज्यों के खाद्य सचिवों के साथ हुई बैठक के बाद पासवान ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा, ‘तमिलनाडु को छोड़कर सभी राज्यों से कहा गया है कि वे मार्च 2016 के अंत तक खाद्य सुरक्षा कानून लागू कर दें।’ जिन 14 राज्यों ने अब तक यह कानून लागू नहीं किया है, उनमें से आंध्र प्रदेश और सिक्किम ने दिसंबर तक इसे लागू करने का आश्वासन दिया है।
उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश, मेघालय, जम्मू-कश्मीर और अंडमान निकोबार इसे जनवरी 2016 से लागू करेंगे जबकि गुजरात, केरल, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड अगले साल मार्च से इसे लागू करने जा रहे हैं।’ बैठक में तमिलनाडु सरकार के अधिकारी ने बताया कि वह जुलाई 2016 में ही इस कानून को लागू कर पाएंगे क्योंकि वहां सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू की जा रही है।
खाद्य सब्सिडी में प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण के सवाल पर पासवान ने कहा, ‘हम इस योजना को पुडुचेरी और चंडीगढ़ में पायलट स्कीम के तहत लागू करने जा रहे हैं। सभी राज्यों में सीधा नकद हस्तांतरण का लाभ (डीबीटी) को लागू करना अनिवार्य नहीं है। यदि कुछ राज्य अपने कुछ हिस्सों में ही नकद सब्सिडी देना चाहते हैं तो उनके लिए यह विकल्प खुला रहेगा।’