बुधवार को कैबिनेट की बैठक में 10 सेक्टर्स में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्स (पीएलआई) लागू करने की मंजूरी दे दी है। इन 10 सेक्टरों में व्हाइट गुड्स, ऑटो, ऑटो कम्पोनेंट और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग शामिल हैं। इस योजना के तहत अगले 5 सालों में 1.46 लाख करोड़ रुपए की सहायता दी जाएगी। इस योजना का उद्देश्य देश में प्रोडक्शन को बढ़ावा देना है।
हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी कि केंद्र सरकार जल्द ही घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और एशिया में वैकल्पिक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में देश को आगे बढ़ाने के लिए कम से कम आठ और क्षेत्रों में पीएलआई योजना का विस्तार करेगी।
इसके अलावा जिन सेक्टर्स को इसका फायदा होगा उनमें एडवांस सेल केमिस्ट्री, बैटरी, फार्मा, फूड प्रोडक्ट्स और व्हाइट गुड्स भी शामिल हैं।
इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार अतिरिक्त प्रोडक्शन करने पर कंपनियों को इंसेंटिव्स और उन्हें निर्यात करने की भी मंजूरी देगी।
पिछले महीने नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने घोषणा कि थी कि सरकार प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्स लेकर आएगी ताकि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को बढ़ावा दिया जा सके।
केंद्र सरकार पीएलआई और पीएमपी योजनाओं के जरिए मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 24 सेक्टरों की पहचान की है। इनमें फुटवियर, सिरेमिक और ग्लास, इथेनॉल, एल्यूमीनियम, रेडी-टू-ईट फूड, खिलौने,जिम का सामान, खेल का सामान, रोबोटिक्स, ड्रोन और इलेक्ट्रिक वाहन उपकरण शामिल हैं। इनमें से कुछ क्षेत्रों की पहचान घरेलू विनिर्माण और आयात प्रतिस्थापन के लिए प्राथमिकता के रूप में की गई है।