सरकार जल्द ही भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक सहित सार्वजनिक क्षेत्र के नौ बैंकों में 6,990 करोड़ रुपये पूंजी डालेगी। वैश्विक जोखिम नियमों के अनुपालन और पूंजी आधार बढ़ाने के लिए यह पूंजी डाली जाएगी।
चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने इस काम के लिए 11,200 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। उसी बजट में से यह पहली किस्त है जिसे बैंकों को उपलब्ध कराया जाएगा।
सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक को इसमें से सबसे अधिक 2,970 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा को।,260 करोड़ और पंजाब नेशनल बैंक को 870 करोड़ रुपये तथा केनरा बैंक को 570 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, ‘चालू वित्त वर्ष के बजट में से सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के नौ बैंकों में 6,990 करोड़ रुपये की राशि डालने का फैसला किया है इसके लिए जल्द ही आदेश जारी किए जा रहे हैं।’
वक्तव्य में कहा गया है कि इस साल सरकार ने पूंजी डालने के मामले में नए मानदंड अपनाए हैं। जो बैंक अधिक सक्षम है उन्हें अतिरिक्त पूंजी देकर पुरस्कृत किया गया है ताकि वह अपनी स्थिति आगे और मजबूत बना सकें।
बैंकों में अतिरिक्त पूंजी आवंटन इस बार बैंकों के प्रदर्शन के आधार पर किया गया है। जितना बेहतर प्रदर्शन होगा उतनी ही अधिक पूंजी उपलब्ध कराई गई है।
वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘बैंकों में डाली जाने वाली पूंजी का आंकड़ा उनकी कार्यक्षमता पर आधारित है। सबसे पहले सभी बैंकों की पिछले तीन साल के दौरान परिसंपत्तियों पर औसत भारित प्रतिफल निकाला गया। उसके बाद जो भी बैंक इस औसत से ऊपर रहा उसके मामले पर विचार किया गया।’’
दूसरा मानदंड पिछले तीन साल के दौरान बैंकों की इक्विटी पर अर्जित आय का फार्मूला है। जिन बैंकों का इक्विटी प्रदर्शन औसत से बेहतर रहा उनमें अतिरिक्त पूंजी डालने का फैसला किया गया।
नौ बैंकों में जिन अन्य बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराई गई है, उनमें सिंडीकेट बैंक को 460 करोड़ रुपये, इलाहाबाद बैंक को 320 करोड़ रुपये, इंडियन बैंक को 280 करोड़ रुपये, देना बैंक को 140 करोड़ रुपये और आंध्रा बैंक को 120 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी।
चालू वित्त वर्ष में आवंटित राशि में से शेष 4,210 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की प्रक्रिया जारी है। यह प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरी कर ली जाएगी।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वर्ष 2018 तक कुल 2.40 लाख करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत होगी। अंतरराष्ट्रीय बेसल-तीन नियमों के मानदंडों पर खरा उतरने के लिए बैंकों को इस पूंजी की जरूरत होगी।