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सरकार का 4-5 बड़े सरकारी बैंक बनाने का इरादा

सरकार का इरादा सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों के बीच एकीकरण के जरिये 4-5 बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बनाने का है।
सरकार का 4-5 बड़े सरकारी बैंक बनाने का इरादा

इस प्रक्रिया की शुरुआत चालू वित्त वर्ष में एसबीआई में उसके सहयोगी बैंकों के विलय से होगी। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि आईडीबीआई बैंक में भी अपनी हिस्सेदारी 80 से घटाकर 60 प्रतिशत पर लाना चाहती है। यदि हिस्सेदारी बिक्री क्यूआईपी के जरिये होती है, तो सरकार की हिस्सेदारी कम होगी। अधिकारी ने कहा, वित्त मंत्रालय का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण के बाद कुल 4-5 बड़े बैंक होंगे। शुरुआत में एसबीआई और उसके सहयोगी बैंकों का विलय होगा। अन्य बैंकों पर फैसला समय के साथ किया जाएगा।

अधिकारी ने कहा कि एसबीआई का उसके सहयोगी बैंकों के साथ विलय इस वित्त वर्ष के अंत तक होगा। पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एसबीआई और सहयोगी बैंकों के विलय को मंजूरी दी है। अधिकारी ने कहा कि एकीकरण की प्रक्रिया से पहले ट्रेड यूनियनों के साथ सहमति बनाई जाएगी। देश के बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक,  पंजाब नेशनल बैंक,  केनरा बैंक और बैंक आफ इंडिया शामिल हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण की रूपरेखा जारी करेगी। इन बैंकों को चालू वित्त वर्ष में 25,000 करोड़ रुपये का निवेश मिलने की उम्मीद है। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्गठन के लिए इंद्रधनुष योजना की घोषणा की है जिसके तहत चार साल में इन बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाएगी।

वहीं इन बैंकों को वैश्विक जोखिम नियम बासेल तीन के लिए पूंजी की जरूरत को पूरा करने को बाजारों से 1.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने पड़ेंगे। रूपरेखा के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पिछले वित्त वर्ष में 25,000 करोड़ रुपये की पूंजी मिली है। इस वित्त वर्ष में भी इतनी ही राशि डाली जाएगी। योजना के तहत 2017-18 और 2018-19 में इन बैंकों को 10,000-10,000 करोड़ रुपये का निवेश मिलेगा। सरकार ने यह भी कहा है कि जरूरत होने पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और पूंजी दी जा सकती है।

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