इस समय शहरी कंपोस्ट खाद 5,500 रुपये प्रति टन की दर से बेची जा रही है और इस क्षेत्र में आईएलएफएस व कृभको मुख्य कंपनियां हैं। अनंत कुमार ने कहा कि उक्त शहरी खाद काफी पोषक होती है और मंत्रिमंडल ने फैसला सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को ध्यान में रखते हुए किया है। शहरी कचरे से बनने वाली खाद से मृदा को कार्बन के साथ साथ प्राथमिक या द्वितीयक पोषक तत्व ही नहीं मिलते बल्कि यह शहरों को स्वच्छ रखने में भी मदद करती है।
देश में लगभग सालाना 6.2 करोड़ टन शहरी कचरा पैदा होता है लेकिन इसमें से ज्यादातर को रिसाइक्लि नहीं किया जाता। फिलहाल इस तरह के कचरे से 1.5 लाख टन खाद बनती है जबकि 50 लाख टन तक खाद बनाई जा सकती है। सरकार का यह निर्णय उच्चतम न्यायालय के 2004 के आदेश के बाद आया है। इस आदेश में शीर्ष अदालत ने केन्द्र और राज्य सरकारों को शहरी ठोस कचरे के प्रबंधन के लिये कार्ययोजना तैयार करने को कहा है।