फार्मा सचिव वी के सुब्बुराज ने उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित समारोह में कहा हम चीन से 70-80 प्रतिशत थोक दवा का आयात कर रहे हैं। हम जल्दी ही देश में थोक दवा क्षमता बढ़ाने के लिए योजना पेश करेंगे।
सुब्बुराज ने कहा कि एक समय था जब भारत बड़े पैमाने पर थोक दवाओं का उत्पादन कर रहा था और अब कुछ भी नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गठित समिति ने अपने सुझाव सौंपे हैं। फार्मा विभाग इसकी समीक्षा कर रहा है जल्दी ही अपनी रणनीति पेश करेगा। ये रणनीतियां प्रस्ताविक थोक दवा-फार्मा नीति का अंग होंगी।
भारत में थोक दवा विनिर्माण में मदद के लिए सरकार हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लि (एचएएल) के लिए पुनरुद्धार पैकेज पर भी काम कर रही है। सुब्बुराज ने कहा, फिलहाल एचएएल कोई उत्पादन नहीं कर रही। उसके पास पूंजी की समस्या है। लेकिन कंपनी के पास पुणे में 270 एकड़ जमीन है। हमने एचएएल की पुनरुद्धार योजना तैयार की है जिसे जल्द ही मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा। महारा की एचएएल देश की पहली दवा विनिर्माण इकाई थी जो वाणिज्यिक तौर पर एंटीबायोटिक का उत्पादन करती थी।
सुब्बुराज ने कहा कि सरकार इंडियन डग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लि.(आईडीपीएल) के पुनरद्धार पर भी विचार करेगी।
सरकार थोक दवा क्षमता निर्माण के लिए तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत विभिन्न राज्य सरकारों के साथ बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा कि अगले 10 साल में थोक दवा के संबंध में हमारी चीन पर निर्भरता उल्लेखनीय रूप से कम होगी। एक स्रोत पर निर्भरता चिंता का विषय है।