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इस साल दालों के सरकारी आयात की नौबत

दालों की महंगाई पहले ही रसोई का बजट बिगाड़ रही है। इस बीच सरकार ने विदेशों से दाल मंगाने की तैयारी शुरू कर दी है।
इस साल दालों के सरकारी आयात की नौबत

दालों की बढ़ती महंगाई के बीच इस साल आपको विदेशी दाल खानी पड़ सकती है। देश में कमजाेर मानसून की आशंका और उत्‍पादन में गिरावट को देखते हुए केंद्र सरकार दालों के आयात की योजना बना रही है। अगर ऐसा हुआ तो पिछले दो साल में यह पहला मौका होगा जब सरकार को विदेशों से दाल मंगानी पड़ेगी।
 
 
खाद्य एवं मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि दालों की उपलब्‍धत सुनिश्चित कराने के लिए सरकारी खरीद एजेंसी एमएमटीसी को दाल आयात करने को कहा गया है। इस साल ऑस्‍ट्रेलिया और कनाडा जैसे प्रमुख दलहन उत्‍पादक देशों में भी उत्‍पादन घटने का अनुमान है। उधर, दालों की महंगाई पहले ही रसोई का बजट बिगाड़ने लगी है। पिछले एक महीने के दौरान प्रमुख दालों के दाम 20 से 25 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। जनवरी में 83 रुपए किलो बिकने वाला अरहर अब 108-110 रुपए प्रति किलो, चने दाल 54 रुपए से चढ़कर 68 रुपए प्रति किलो और मसूर की दाल 94 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। मूंग की दाल का भाव भी 105-115 रुपए प्रति किलो के आसपास है।
 
भारत में सालाना 180-190 लाख टन दालों का उत्पादन होता है। लेकिन घरेलू खपत इससे भी ज्‍यादा है, जिसे पूरा करने के लिए वर्ष करीब 30-40 लाख टन दालों का आयात किया जाता है। लेकिन पिछले दो वर्षों में सरकार की ओर से दालों के आयात की नौबत नहीं आई। सिर्फ प्राइवेट ट्रेडर्स ने ही विदेश से दालें खरीदी। वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान देश में 34 लाख टन दालों का आयात हुआ है। जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में 30 लाख टन दाल आयात हुआ था। देश में दालों का उत्पादन 2014-15 के दौरान 184.3 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल 197.8 लाख टन दाल देश में पैदा हुआ था।
 
 

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