सस्ता होना निवेश की एकमात्र वजह नहीं
किसी वस्तु की कम कीमत उसमें निवेश करने एकमात्र वजह नहीं होती और न ही होनी चाहिए। किसी भी परिसंपत्ति में तब निवेश किया जाता है जब उसकी वैल्यू बढ़ने की संभावना अधिक रहती है। फिलहाल अभी ऐसा कोई बुनियादी कारक नहीं है जो अगले वर्ष या उसके बाद सोने की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना को जाहिर करता है। अमेरिका में ब्याज दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी लागू होने जा रही है। इतिहास हमें बताता है कि अमेरिका जब भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है, सोने के दाम में गिरावट देखी जाती है। जहां तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का संबंध है तो केवल चीन को छोड़कर इस समय किसी के लिए ज्यादा चिंता की कोई बात नहीं है। सोना 1000 $ के स्तर पर कारोबार कर रहा है और अपने उछाल से काफी गिर चुका है।इसलिए आगे यह गिरावट शायद थोड़ा धीमा हो सकता है। हालांकि, 2016 के मध्य तक सोने का भाव 900-950 $ के बीच बना रह सकता है। जब तक किसी अन्य परिसंपत्ति में उछाल नहीं दिखता, इस कीमती धातु पर दबाव बना रहेगा।
- किशोर नारने
एसोसिएट डायरेक्टर,
कमोडिटी एंड करेंसी, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज
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दीर्घ अवधि में कायम रहेगी चमक
यहां पर दो दृष्टिकोणों पर विचार किया जाना चाहिए। पहला है शॉर्ट टर्म नजरिया। इस लिहाज से देखें तो सोना चलन से बाहर होता प्रतीत हो रहा है। छह महीने से लेकर साल भर तक के दृष्टिकोण से यह एक बेजान निवेश है और सोने में निवेश करने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन तीन से पांच साल की अवधि में सोने में मजबूती लौट सकती है, क्योंकि समूचे आर्थिक परिदृश्य पर नजर डालें तो स्थिति बहुत आशाजनक नहीं है। हालांकि, ग्रीस और चीन में उभरी दिक्कतें फिलहाल सुलझा ली गई हैं, लेकिन धुंध अभी छंटी नहीं है। अगले तीन सालों के दौरान बाजार में फिर से किसी न किसी तरह की अनिश्चितता फैल सकती है। अगले 6 से 12 महीनों में अमेरिका की ब्याज दरों में ज्यादा नहीं तो कम से कम एक बार बढ़ोतरी की प्रबल संभावना है। इससे सोने में तेजी पर अंकुश रहेगा। इसलिए अल्प अवधि के लिए सोने में निवेश करने का कोई मतलब नहीं है, हालांकि, दीर्घ अवधि में सोने की चमक बरकरार रहेगी।
- हितेश जैन
सीनियर कमोडिटी एनालिस्ट,
आईआईएफएल