एसआईटी ने देश में इसपर अंकुश लगाने के लिए सरकार को एक दर्जन से अधिक सिफारिशें की हैं, इनमें से कुछ सिफारिशों एवं जरूरतों को विभिन्न वित्तीय जांच एजेंसियों द्वारा सामने लाया गया है। एजेंसियों का मानना है कि इन सिफारिशों को लागू करने से कालेधन की समस्या से कारगर तरीके से निपटा जा सकता है। विशेषज्ञों व अधिकारियों ने कहा कि आधिकारिक प्रोटोकॉल सुदृढ़ करना एवं विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सूचनाओं को साझा करना और मनी लांडिंग रोधी कानून व आयकर कानून में संशोधन करने की एसआईटी की मांग पर बजट में विचार किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा, विभिन्न मंत्रालयों के तहत जांच एजेंसियों ने कर चोरी रोकने के लिए कानूनों को लागू करने के दौरान आ रही चुनौतियों के संबंध में वित्त मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुति दी है। इनमें से कुछ बातों को बजट में शामिल किया जा सकता है। आयकर विभाग द्वारा जारी पैन का अधिक उपयोग जांच एजेंसियों के लिए किया जा सकता है। एसआईटी ने उच्चतम न्यायालय और सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। इसके अलावा, देश में कर चोरी को एक अपराध घोषित करने का भी एसआईटी का सुझाव बजट में शामिल किया जा सकता है। यह इस तरह से किया जा सकता है कि एक निश्चित सीमा से परे मसलन 50 लाख रुपये की कर चोरी के लिए आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत अनिवार्य तौर पर मुकदमा शुरू किया जा सकता है। वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सीमा शुल्क व खुफिया ब्यूरो जैसी एजेंसियों के बीच सूचना साझा करने के लिए एक मजबूत रूपरेखा का भी वित्त मंत्री के बजट भाषण में जिक्र किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा, एक केंद्रीय केवाईसी रजिस्टी का भी सृजन सरकार द्वारा किया जा सकता है ताकि इसके डेटाबेस तक सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों की पहुंच सुनिश्चित हो और वे मनी लांडिंग, कर चोरी एवं आर्थिक कानूनों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकें।
काले धन पर घोषणा करेंगे जेटली?
लोकसभा चुनाव के दौरान जमकर काले धन का मुद्दा उठाने वाली भारतीय जनता पार्टी भले ही चुनाव के बाद एक पैसे का काला धन वापस लाने में कामयाब न हुई हो मगर माना जा रहा है कि देश और विदेश में जमा किए गए काले धन की समस्या से निबटन के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की गई कुछ सिफारिशों के आधार पर बजट में नीतिगत उपायों की घोषणा कर सकते हैं।
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