भारत सरकार द्वारा पिछले साल लिए गए नोटबंदी के फैसले पर शुरू से ही सवाल उठा रहे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक बार फिर इस पर निशाना साधा है।
शुक्रवार को मोहाली के इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) लीडरशिप समिट में डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि नोटबंदी के 'एडवेंचर' की वजह से अर्थव्यवस्था गिरावट के रास्ते पर जा रही है। तकनीकी और आर्थिक किसी भी नजरिए से यह सही फैसला नहीं था।
1990 के दशक में देश में शुरू हुए आर्थिक सुधारों के शिल्पकार डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि कुछ लैटिन अमेरिकी देशों को छोड़कर किसी भी लोकतांत्रिक देश में नोटबंदी सफल नहीं रही है। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि नोटबंदी की कतई जरूरत थी। तकनीकी और आर्थिक रूप से इस जोखिम को लेने कोई जरूरत नहीं थी।” लीडरशिप समिट के दौरान मनमोहन सिंह से नोटबंदी के बारे में सवाल पूछा गया था। जिसके बाद उन्होंने यह जवाब दिया।
जीडीपी पर नोटबंदी और जीएसटी की मार
इससे पहले सोमवार को एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से जीडीपी में 40 फीसदी का योगदान देने वाले असंगठित क्षेत्र और छोटे पैमाने पर होने वाले कारोबार को दोहरा झटका लगा है। नोटबंदी के बाद लागू किए गए जीएसटी ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को बुरी तरह से प्रभावित किया है।
याद आता है मनमोहन सिंह का वो भाषण
बता दें की देश की जीडीपी की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में तीन साल के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई है। जबकि 2016-17 की पहली तिमाही में यह 7.9 प्रतिशत थी। मैन्युफैक्चरिंग में सुस्ती के बीच लगातार तीसरी तिमाही में नोटबंदी का असर दिखाई पड़ा है। पिछले साल नवंबर में ही मनमोहन सिंह ने संसद में आशंका जताई थी कि नोटबंदी से जीडीपी में दो प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।