विभिन्न किस्म के आर्थिक सुधार और विशेष तौर पर नौकरशाही के फैसलों को व्यवस्थित करने और कुछ क्षेत्रों में एफडीआई सीमा बढ़ाने पर मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा कि प्रस्तावित आर्थिक सुधार के संबंध में मोदी सरकार की प्रगति धीमी रही है। जो उसके वादे के अनुरूप नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया कि कई प्रस्तावित सुधारों को संसद में पारित होने के लिए संघर्ष करना पड़ा। इसमें कहा गया कि इसके कारण भाजपा नीत सरकार के समर्थन में आगे आए कई निवेश पीछे हट रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार संसद में भूमि अधिग्रहण विधेयक पर पर्याप्त समर्थन हासिल करने में नाकाम रही। वस्तु एवं सेवा कर के ब्योरा के संबंध में विपक्षी दलों के साथ अभी भी विचार-विमर्श चल रहा है। यदि इसे कमजोर नहीं बनाया गया तो यह भारत के पेचीदे कर ढांचे काेे व्यवस्थित कर सकता है। ऐसे में सकल घरेलू उत्पाद को तुरंत प्रोत्साहन मिल सकता है। विदेश विभाग के आर्थिक एवं कारोबार ब्यूरो की इस रिपोर्ट में कहा गया, स्पष्ट रूप से भारत विश्व की सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज करती अर्थव्यवस्था है लेकिन निवेशकों के रुझान में नरमी से संकेत मिलता है कि करीब 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर वास्तविकता से अधिक बताई गई हो सकती है।