ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की फॉरेन करेंसी और लोकल करेंसी लांग टर्म इश्यूअर रेटिंग को बीएए2 से घटाकर बीएए3 कर दिया है। लोकल करेंसी सीनियर अनसिक्योर्ड रेटिंग को भी बीएए2 से घटाकर बीएए3 कर दिया है।
नीतियां लागू करने की चुनौतियां होंगी
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत की शॉर्ट टर्म लोकल करेंसी पी-2 से घटाकर पी-3 कर दिया है। उसका आउटलुक भी निगेटिव बरकरार रखा गया है। भारत की रेटिंग घटाने के फैसले से मूडीज का रुख स्पष्ट होता है कि तुलनात्मक रूप से धीमी विकास दर, सरकार की और बिगड़ती वित्तीय स्थिति और वित्तीय क्षेत्र में संकट के जोखिम को प्रभावी तरीके से कम करने वाली नीतियां बनाने और उन्हें लागू करने में देश की नीतियां बनाने वाली संस्थाओं के सामने चुनौतियां होंगी।
अर्थव्यवस्था और वित्तीय तंत्र पर दबाव
मूडीज के अनुसार निगेटिव आउटलुक से अर्थव्यवस्था और वित्तीय तंत्र पर भारी दबाव का जोखिम दिखाई देता है। भारत की स्थिति उसके पिछले अनुमानों से कहीं ज्यादा खराब हो सकती है। मूडीज ने भारत की लांग टर्म फॉरेन करेंसी बांड और बैंक डिपॉजिट सीलिंग को भी क्रमशः बीएए1 और बीएए2 से घटाकर बीएए2 और बीएए3 कर दिया है। शॉर्ट टर्म फॉरेन करेंसी बांड सीलिंग को प्राइम2 पर स्थिर रखा गया है जबकि शॉर्ट टर्म फॉरेन करेंसी बैंक डिपॉजिट सीलिंग को पी2 से घटाकर पी3 कर दिया है। लांग टर्म लोकल करेंसी बाडं और बैंक डिपॉजिट सीलिंग को ए1 से घटाकर ए2 कर दिया है।
मूडीज के अनुसार भारत की विकास दर उसकी क्षमता के मुकाबले लंबे समय से धीमी बनी हुई है जिसके कारण कर्ज बढ़ रहा है, कर्ज की अफोर्डेबिलिटी बिगड़ रही है और वित्तीय तंत्र के कई हिस्सों पर दबाव आ रहा है। इसके कारण संस्थाओं को नीतियां बनाने और उन्हें लागू करने में चुनौतियां का सामना करना पड़ेगा।
उम्मीद के अनुरूप नीतियों का प्रभाव नहीं
नवंबर 2017 में मूडीज ने भारत की रेटिंग सुधारकर बीएए2 की थी, जो इन उम्मीदों पर आधारित थी कि प्रमुख सुधारों को प्रभावी तरीके से लागू करने से उसका सोवरेन क्रेडिट प्रोफाइल धीरे-धीरे सुधरेगा क्योंकि आर्थिक, संस्थागत और राजकोषीय स्थिति सुधरेगी। मूडीज के अनुसार तब से सुधारों को लागू करने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत धीमी है। इसके कारण उसके क्रेडिट में स्पष्ट सुधार नहीं दिखाई दिया। इससे नीतियों का सीमित प्रभाव दिखाई देता है।