वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चिदंबरम ने भारतीय प्रबंधन संस्थान-कलकत्ता के विद्यार्थियों के साथ आर्थिक सुधारों पर परिचर्चा में कहा, हम ईमानदारी से उम्मीद करते हैं कि मानक के डिजाइन की गलत व्याख्या नहीं हो, जीएसटी की मानक घाटा और जमा दर हो। हमारे पास 20 दरें हो सकतीं हैं। यह घातक होगा और यह जीएसटी नहीं हो सकता। यह देश को मूर्ख बनाना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बारे में बेहतर समझ बनेगी और इसमें दरों की संख्या तीन के आसपास रहेगी। सरकार का जीएसटी को एक अप्रैल, 2017 से लागू करने का इरादा है।
यह पूछे जाने पर कि कुछ राज्य जीएसटी सुधार के लिए तैयार नहीं हैं, चिदंबरम ने कहा कि जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने वैट लागू किया था, उस समय भी कुछ राज्य शुरुआत में इसमें शामिल नहीं हुए थे। बाद में सभी इसमें शामिल हो गए थे। उन्होंने कहा कि मानक दर कुछ भी हो, इससे सेवा कर बढ़ेगा। जीएसटी परिषद की पिछले सप्ताह हुई बैठक में उपकर लगाने के मुद्दे पर राज्यों के बीच करीब-करीब आम सहमति बन गई थी। हालांकि, कर विशेषज्ञों और उद्योगों ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे एक राष्ट्र एक कर का जीएसटी लागू करने का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा।