सरकार जीएसटी स्लैब में दो सौ से ज्यादा वस्तुओं पर टैक्स कम कर चुकी है। ग्राहकों का इसका फायदा मिल सके इसके लिए कैबिनेट ने जीएसटी में मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण को मंजूरी दे दी है। साथ ही दालों के निर्यात से सभी प्रतिबंध हटा लिए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को बताया कि जीएसटी कानून के तहत केंद्र सरकार को जीएसटी लागू होने के बाद कंपनियां उत्पाद या सेवाओँ के दाम पर में क्या बदलाव कर सकती है उस पर नजर रखने के लिए कोई संस्था बनाने का अधिकार है ताकि यह पक्का हो जाए कि कंपनियां टैक्स में बदलाव से हुअा मुनाफा अपने पास तो नहीं रख रही। प्राधिकरण के अध्यक्ष और तकनीकी सदस्यों के पदों के सृजन को मंजूरी दे दी गई है। केंद्र सरकार के सचिव स्तरीय एक वरिष्ठ अधिकारी और केंद्र या राज्यों से चार तकनीकी सदस्यों वाले इस प्राधिकरण की स्थापना से उपभोक्ताओं को फायदा मिलेगा।
मलेशिया और आस्ट्रेलिया में जीएसटी कानून लागू है और उसमें इसी तरह की शर्त रखी गई है। इन दोनों देशों से भी राय ली गई है। इसे लागू करने के लिए तीन स्तरीय ढांचा बनाया गया है। जीएसटी परिषद ने एक स्थायी समिति बनाई है जिसके पास ग्राहक शिकायत कर सकेंगे जिसे देखकर इसे डायरेक्टर जनरल ऑफ सेफगार्ड्स के पास भेज दिया जाएगा जो आरोपों की जांच करेगी। इसे जांचने के बाद स्वतंत्र मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण को भेजा जाएगा। प्राधिकरण दोषी कंपनी पर जुर्मान लगाने, अतिरिक्त रकम लौटाने और कंपनी का लाइसेंस रद्द करने का आदेश दे सकता है। यह प्राधिकरण केवल दो साल तक काम करेगा।
माना जा रहा कि प्राधिकरण्ा के गठन से कंपनियों में खासा डर है कि इससे इंस्पेक्टर राज की वापसी होगी। अगर कच्चे माल की कीमत बढ़ने के कारण उत्पाद का दाम बढ़ता है तो उसकी भी जांच की जा सकती है। हालांकि इस समस्या के लिए कुछ उपाय किए गए हैं। प्राधिकरण अपने आप कार्रवाई नहीं कर सकती। जो भी शिकायत आएगी उसके लिए एेसे दस्तावेज देने होंगे जिससे साबित हो कि टैक्स का फायदा ग्राहकों को नहीं मिला है।
मालूम हो कि 14 नवंबर की मध्यरात्रि से जीएसटी की दरों में 178 वस्तुओं के तहत आने वाली चीजों पर जीएसटी की दर को 28 फीसद से घटाकर 18 फीसद कर दिया गया है। अब केवल 50 वस्तुओं पर 28 फीसद टैक्स लगेगा।