बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक केन्द्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2016 में डिजिटल पेमेंट के जरिए ट्रांजैक्शन में 43 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है। केन्द्र सरकार का मानना है कि डिजिटल ट्रांजैक्शन को करने में लागत करेंसी नोट छापने से बेहद कम है। हालांकि अभी डिजिटल ट्रांजैक्शन करने की लागत पूरी तरह से दुकानदार और ग्राहक को वहन करनी पड़ती है।
केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि इस नए टैक्स को लगाने के पीछे केन्द्र सरकार की मंशा डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने की है। केन्द्र सरकार चाहती है कि अर्थव्यवस्था में कैश का संचार कम से कम रहे। इस अधिकारी के मुताबिक, कैश विड्रॉवल पर टैक्स एक विकल्प है जिसपर सरकार विचार कर रही है। इस पर शीर्ष राजनीतिक स्तर पर फैसला लिया जाना है।
सूत्रों के मुताबिक केन्द्र सरकार ने इस टैक्स के लिए पूर्व की यूपीए सरकार द्वारा तैयार किए गए बैंकिंग कैश ट्रांजैक्शन टैक्स बीसीसीटी के मसौदे का सहारा लिया है। इसकी मदद से सरकार एक तय लिमिट से अधिक कैश विड्रॉवल होने की स्थिति में टैक्स लगा सकती है।
गौरतलब है कि टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन रिफॉर्म कमीशन टीएआरसी ने भी केंद्र सरकार से बीसीसीटी को फिर से लागू करने की सिफारिश की है। 2016 में कालेधन पर बनी एसआईटी ने भी सरकार से 3 लाख रुपये से अधिक कैश ट्रांजैक्शन पर प्रतिबंध लगाने की अपील की थी।