जेटली ने बताया कि कृषि भूमि एवं छात्र रिणों के मामले में बैंकों को थोड़ा नरम रूख अपनाना चाहिए। वित्त मंत्री के जवाब के बाद उच्च सदन ने प्रतिभूति हितों का प्रवर्तन एवं रिण वसूली विधि तथा प्रकीर्ण उपबंध (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। इस विधेयक को चार कानूनों वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को शोध रिण वसूली अधिनियम, 1993, भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 और निक्षेपागार अधिनियम, 1996 में संशोधन करके लाया गया है।
इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि बैंकों को बकायेदारों के खिलाफ प्रभावी कानूनी कदम उठाने के लिए अधिकार सम्पन्न बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि परिसमापन कानून, सिक्योरिटाइजेशन कानून एवं डीआरटी कानून उसी दिशा में उठाये गये कदम हैं। उन्होंने कहा, अभी तक कानून बकायादारों के पक्ष में था तथा हमने संतुलन को सुधारने का प्रयास किया है। रिणों की वसूली के मामले में निष्पक्षता के साथ साथ दृढ़ता भी होनी चाहिए। जेटली ने कहा कि बैंकों को शिक्षा रिण बकाया के मामले में सहानुभूतिपूर्ण रूख अपनाना चाहिए किन्तु इससे माफी नहीं होगी तथा किसी न किसी को तो चुकाना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कृषि एवं शिक्षा रिणों के मामले में चिंताओं को बढ़ाचढ़ाकर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि बैंकों से उम्मीद की जाती है कि वे रिण देंगे तथा यदि वे रिणों के मामले में कमी करने लगे तो कोई आर्थिक विकास नहीं होगा। उन्होंने कहा कि चिंता का कारण तब उत्पन्न हो जाता है जब रिण या तो गैर निष्पादक आस्ति बन जाता है या उस गतिविधि में लग जाता है जहां धन उत्पन्न नहीं हो रहा हो।
वित्त मंत्री ने कहा कि अधिकतर बकाया वाले मामले इस्पात, बिजली एवं कपड़ा क्षेत्र में हैं। इस विधेयक के जरिये उन प्रक्रियाओं को सुगम बनाया गया है जिसमें रिण वसूली न्यायाधिकरण द्वारा बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के लंबित मामलों का त्वरित निस्तारण किया जा सके। रिण वसूली न्यायाधिकरण को 180 दिनों में मामलों में निस्तारण करना होगा तथा यदि कोई भी पक्ष इस फैसले के खिलाफ अपील करना चाहता है तो उसे राशि का 25 प्रतिशत जमा कराना होगा। न्यायाधिकरण में इससे संबंधित करीब 70 हजार मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों में लंबित मामलों के त्वरित निस्तारण की प्रक्रिया को आसान बनाने पर जोर दिया गया है। शराब उद्योगपति विजय माल्या पर 9000 करोड़ रूपये का बैंकों के रिण को लेकर छिडे़ विवाद की पृष्ठभूमि में सरकार का यह कदम काफी महत्व रखता है। माल्या फिलहाल देश से ब्रिटेन में हैं।
जेटली ने कहा कि यदि रिण लिया गया है तो उसे लौटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 20 लोग बैंक के धन को दबाये बैठे हैं जिससे 20 हजार अन्य लोगों को रिण नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी बैंक के प्रबंधन को रिण की मंजूरी देने के बाद पूरी रात जागना पड़े।
एजेंसी