मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि रुपये के संदर्भ में कच्चे तेल की कीमत फिलहाल 3397.03 रुपये है और रुपया 64 रुपये प्रति डॉलर पर चल रहा है इसलिए पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में कमी हो सकती है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि मौजूदा बाजार स्थिति के हिसाब से डीजल-पेट्रोल की कीमतों में कम से कम चार से पांच रुपये की कटौती होनी चाहिए क्योंकि एक समय जब कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 59 डॉलर प्रति बैरल थी तब पेट्रोल की कीमत 40 रुपये प्रति लीटर थी। लेकिन अभी प्रति लीटर यह कीमत 66 रुपये के आसपास है। वैसे मूल्यों में उतार-चढ़ाव डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत पर भी निर्भर करता है।
पिछले कुछ महीनों से कच्चे तेल की कीमत में लगातार गिरावट जारी रहने के कारण रॉयल डच शेल कंपनी इस वर्ष 6,500 नौकरियों में कटौती करने जा रही है। कंपनी का मानना है कि इस दौरान कच्चे तेल की कीमत 37 प्रतिशत तक गिरी है और इसलिए दूसरी तिमाही में भी लगातार इसका मुनाफा प्रभावित हुआ है। पिछले पांच महीनों के मूल्यों को देखा जाए तो कच्चे तेल की कीमत अभी रिकॉर्ड निम्न स्तर पर पहुंच गई है। जनवरी में यह कीमत 45 डॉलर प्रति बैरल रही थी। जानकारों का कहना है कि अमेरिकी उत्पादकों और प्रमुख निर्यातकों द्वारा उत्पादन लगातार बढ़ाया जा रहा है लेकिन मांग को कमजोर किया जा रहा है इसलिए पेट्रो पदार्थों के मूल्य गिरना लाजिमी है।
फिर सस्ता हो सकता है डीजल-पेट्रोल
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की लगातार गिरती कीमत के बीच शुक्रवार को होने वाली समीक्षा बैठक में पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य में कटौती का फैसला हो सकता है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय बास्केट के लिए कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 53.17 डॉलर प्रति बैरल चल रही है और इस लिहाज से देखा जाए तो पेट्रोल की कीमत 4-5 रुपये प्रति लीटर तक कम हो सकती है।
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