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पीएम मोदी ने किया भारत-चीन के बीच सौहार्दपूर्ण भागीदारी का आह्वान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत और चीन के बीच मजबूत एवं व्यापक साझेदारी पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि दोनों पड़ोसी के बीच सौहार्दपूर्ण भागीदारी एशिया के आर्थिक विकास और राजनीतिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
पीएम मोदी ने किया भारत-चीन के बीच सौहार्दपूर्ण भागीदारी का आह्वान

मोदी ने चीन की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा के आखिरी दिन शनिवार को भारत चीन व्यावसायिक मंच की बैठक में दोनों देशों की कंपनियों के मुख्य कार्यकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों में विकास की मजबूत संभावनाएं हैं और दोनों के सामने गरीबी की समस्याए हैं जिससे  हम मिलकर निपट सकते हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से सहयोग की इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध हूं।

प्रधानमंत्री ने एशिया की इन दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच ठोस संबंध के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा,  भारत और चीन के बीच सौहार्दपूर्ण भागीदारी इस महाद्वीप के आर्थिक विकास एवं राजनीतिक स्थिरता के लिए आवश्यक है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,  चीन और भारत के बीच औद्योगिकी क्षेत्र में भागीदारी से दोनों देशों में निवेश और रोजगार बढ़ेगा और लोगों की संतुष्टि में सुधार होगा। इस अवसर पर, भारत और चीन की कंपनियों के बीच कुल 22 अरब डॉलर मूल्य के 21 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

मोदी ने चीन की कंपनियों को भारत में निवेश के ऐतिहासिक अवसरों का फायदा उठाने का आवान किया। प्रधानमंत्री ने कहा, हमने भारत में व्यवसाय का माहौल बनाने और उसमें सुधार लाने का बीड़ा उठाया है। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि यदि आपने भारत में कदम रखने का फैसला किया तो मुझे पूरा विश्वास है कि आपको कारोबार में उत्तरोत्तर और अधिक आसानी होगी। उन्होंने कहा कि कई चीनी कंपनियां भारत की संभावनाओं का दोहन करने के लिए हमारे यहां निवेश कर सकती हैं। भारत में विनिर्माण, प्रसंस्करण और ढांचागत क्षेत्र में निवेश के विशाल अवसर हैं।

भारत में कारोबार की सुगमता के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा,  हम कर व्यवस्था को पारदर्शी, स्थिर और भरोसेमंद बना रहे हैं। हमने कर प्रणाली में बहुत सी प्रतिकूल चीजों को समाप्त कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के उद्योग जगत की हस्तियों को भरोसा दिया कि भारत का आर्थिक परिवेश बदल चुका है और चीजें आसान हुई हैं। उन्होंने कहा,  हमारी नियामकीय व्यवस्थाएं अब काफी पारदर्शी, संवेदनशील और मजबूत हो चुकी हैं। हम अब विभिन्न विषयों पर दूरगामी और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण अपना रहे हैं।

कारोबार में आसानी के लिए अब भी बहुत से उपाय किए जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि सरकार ने निवेशकों को परेशान करने वाले बहुत से मुद्दों को सुलझाया है। उन्होंने कहा,  हम मानते हैं कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश महत्वपूर्ण है और यह देश में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल के बिना आकर्षित नहीं किया जा सकता। दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा,  भारत और चीन की भागीदारी को फलना फूलना चाहिए और यह निश्चित रूप से फले फूलेगी। मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे दोनों देशों की भागीदारी का परिणाम बहुत अच्छा होगा।

हम विगत में एक दूसरे के पूरक रहे हैं और वर्तमान तथा भविष्य में भी हम एक दूसरे का सहयोग कर सकते हैं। मोदी ने कहा कि चीन की तरह ही भारत भी विनिर्माण क्षेत्र को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित करना चाहता है ताकि देश की युवा आबादी के लिए रोजगार के अवसर सृजित हों। उन्होंने कहा कि भारत की आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा युवा है। इसलिए हम मेक थिंग्स इन इंडिया (चीजों को भारत में ही बनाना) चाहते हैं। हमने इसके लिए मेक इन इंडिया अभियान शुरू किया है।

हमें श्रमोन्मुखी उद्योगों के विकास, मजबूत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए माहौल तैयार करने, कौशल विकास, बुनियादी ढांचे के निर्माण और निर्यातोन्मुखी विकास के मॉडल के बारे में आपसे काफी कुछ सीखना है। मोदी ने शनिवार को अलीबाबा, मोबाइल फोन कंपनी शियाओमी और कई नामी कंपनियों के मुख्य कार्यकारियों से मुलाकात की। भारत और चीन के बीच शुक्रवार को सहयोग के 24 करार किए गए। इस अवसर पर मोदी और चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग उपस्थित थे। इन समझौतों में रेलवे, खनन, शिक्षा, अंतरिक्ष, गुणवत्ता निगरानी एवं निरीक्षण, फिल्म एवं टेलीविजन, सागर एवं भूकंप विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग के समझौते शामिल हैं।

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