उन्होंने नीति को राजनीतिक रूप से सुग्राह्य बनाने की चुनौती के विषय में आगे कहा, आप ऐसे कुछ मौकों पर धक्का-पेली कर अपना रास्ता नहीं बना सकते, इसलिए आपको थोड़ी चतुराई से काम लेना पड़ता है। आपको समझना होता है कि किस जगह नीति को बुनियादी अर्थशास्त्र के सिद्धांत से थोड़ा बदल देने से उस पर बहुत कम फर्क पड़ता है पर इससे वह नीति राजनीतिक रूप से अधिक स्वीकार्य हो जाती है।
राजन दो दिन की मार्शल व्याख्यानमाला 2015-16 की अंतिम प्रस्तुति में कल शाम लंदन में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत जैसे उभरते बाजार में नीति निर्माण मुख्य रूप से बुनियादी किस्म के आर्थशास्त्र पर आधारित है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, ज्यादातर नीति निर्माण बुनियादी अर्थशास्त्र है। वहां बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिनके लिए औद्योगिक देशों की तरह अर्थशास्त्र की गहरी समझ की जरूरत नहीं होती। मेरे विचार से गहरी समझ तब आती है जब आप इसे राजनीति तौर पर व्यवहार्य बनाने की कोशिश कर रहे होते हैं। यह पूछने पर कि क्या उन्हें भारत में आर्थिक नीति का निर्माण आसान लगता है, उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, नीति निर्माण आसान है। मुझे लगता है कि नीति का कार्यान्वयन ज्यादा मुश्किल है।