आरबीआई ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने का एलान किया है। लिहाजा रेपो रेट 6.5 फीसदी पर कायम रहेगा। वहीं रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी पर बरकरार रहेगा। रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ की जगह ‘सधे ढंग से सख्त करने’ वाला किया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरबीआई ने कहा कि मार्च, 2019 की तिमाही तक खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.5 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। इसके ऊपर की ओर जाने का जोखिम भी है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। वित्त वर्ष 2019-20 में वृद्धि 7.6 प्रतिशत पर पहुंच सकती है।
आरबीआई के मुताबिक जुलाई-सितंबर में महंगाई दर 4 फीसदी और अक्टूबर-मार्च में 3.9-4.5 फीसदी रहने का अनुमान है। अप्रैल-जून 2019 में महंगाई दर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2019 में वित्तीय घाटा 3.3 फीसदी रहने का अनुमान है।
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने बताया कि मॉनिटरींग पॉलिसी की बैठक में रेपो रेट के संबंध में 5-1 का वोट पड़ा। रेपो रेट बढ़ाने के संबंध में सिर्फ 1 वोट पड़ा।
रेपो रेट क्यों बढ़ाता है आरबीआई
बता दें कि रिजर्व बैंक के मूल कार्यों में एक महंगाई पर काबू रखना भी है। महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए शीर्ष बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करता रहता है। आरबीआई ने महंगाई को 4 प्रतिशत रखने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन इस साल महंगाई बैंक के लक्ष्य से ऊपर रही है। यदि महंगाई 4 फीसदी से ज्यादा होती है, तो आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है।
रेपो रेट में पिछले दो बार से हुई है बढ़ोतरी
रिजर्व बैंक इस साल दो बार से रेपो रेट में बढ़ोतरी कर चुका है। फिलहाल 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ रेपो रेट 6.5 फीसदी पहुंच चुका है। इस दर पर आरबीआई अन्य बैंकों को लोने देता है।