भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बैंक की अल्पकालिक ब्याज दर रेपो रेट को 6.75 प्रतिशत पर स्थिर रखा। इसी के अनुसार रिवर्स रेपो रेट भी 7.75 प्रतिशत पर बरकरार है। रेपो और रिवर्स रेपो रेट वे दर हैं जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को फौरी जरूरत के लिए नकदी उधार देता है और उनसे नकदी अपने पास जमा करता है।
राजन ने हालांकि नीतिगत ब्याज दर में कटौती का रुख बरकरार रखने का संकेत देते हुए कहा कि यदि बजट में वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त ढांचागत सुधार किए जाते हैं तो रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सस्ता कर्ज मुहैया कराने की तरफ कदम बढ़ा सकता है।
राजन ने चालू वित्त वर्ष की छठी और अंतिम द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा, आगामी बजट में खर्चों पर नियंत्रण के साथ आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने वाले ढांचागत सुधारों से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने वाली मौद्रिक नीति की और गुंजाइश पैदा होगी और यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि 2016-17 के अंत तक मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत के अनुमानित दायरे में रहे।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति इस समय मौद्रिक नीति के लक्ष्योंं के अनुरूप ही चल रही है। तुलनात्मक आधार का प्रतिकूल प्रभाव कम होने और फल-सब्जी तथा कच्चे तेल की कमी कीमतों के नीचे बने रहने से जनवरी 2016 तक मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य प्राप्त हो जाना चाहिए। लेकिन उन्होंने इस संबंध में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुपालन के असर के प्रति आगाह भी किया है।
उन्होंने कहा, मानसून सामान्य रहा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों और विनिमय दर के मौजूदा स्तर पर बरकार रहे तो मुद्रास्फीति 2016-16 के अंत तक पांच प्रतिशत के आस-पास होगी। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2016-17 में मुद्रास्फीति में स्थिरता रहेगी और यह वित्त वर्ष के अंत में 5 प्रतिशत के ही इर्द गिर्द रहेगी।