रिजर्व बैंक ने अगले साल जनवरी तक मुद्रास्फीति के पांच प्रतिशत तक सीमित रहने के अपने लक्ष्य को बरकरार रखा है। हालांकि, केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि कच्चे तेल के बढ़ते दाम और खाद्य पदार्थों की वजह से इस पर दबाव बना रहेगा और यह इससे कुछ उपर भी जा सकती है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक :सीपीआई: आधारित खुदरा मुद्रास्फीति, खाद्य और ईंधन को अलग रखने के बावजूद अप्रैल में कुछ बढ़ी है। मकान का किराया, जलापूर्ति शुल्क, पढाई की फीस और टैक्सी, आॅॅटो किराये जैसे सेवा क्षेत्रा की मुद्रास्फीति उंची रही है। अब तक के कदमों से महंगाई बढ़ने के स्पष्ट संकेत हैं।
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने 2016-17 की दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति में कहा है कि ग्रामीण वेतन और कारपोरेट स्टाफ लागत हल्की रही है, एेसे में लागत बढ़ाने के कारक फिलहाल कमजोर बने रहेंगे। रिजर्व बैंक ने अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति के पांच प्रतिशत के आसपास बने रहने का अनुमान लगाया था। मौद्रिक नीति वक्तव्य में अप्रैल में लगाये गये मुद्रास्फीति अनुमान को बरकरार रखा गया है लेकिन साथ ही इसमें वृद्धि की आशंका भी व्यक्त की गई है, इसमें कहा गया है अप्रैल के मुद्रास्फीति के आश्चर्यचकित करने वाले आंकड़ों से मुद्रास्फीति का भविष्य का दायरा ज्यादा अनिश्चित हो गया है।
राजन ने हालांकि आगे कहा है कि देश में सामान्य मानसून और विभिन्न हिस्सों में वर्षा का सामान्य वितरण होने के साथ साथ आपूर्ति प्रबंधन के बेहतर उपायों और इलेक्टानिक राष्टीय कृषि बाजार :ई-नाम: कारोबारी पोर्टल शुरू होने से खाद्य मुद्रास्फीति में अप्रत्याशित वृद्धि को कम रखने में मदद मिलेगी। रिजर्व बैंक ने कहा है, मजबूत मानसून, खाद्य प्रबंधन में कुशलता, साथ ही आपूर्ति क्षमता में विस्तार, खासतौर से सेवाओं के क्षेत्र में सुधार से मुद्रास्फीति में वृद्धि के दबाव को कम रखा जा सकेगा।