इकोनॉमिस्ट पत्रिका ने अपने ताजा संस्करण में राजन के हवाले से कहा, सबसे महत्वपूर्ण है कि इस पद (आरबीआई गवर्नर) को किसी व्यक्ति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। पत्रिका के अनुसार राजन ने कहा, गवर्नर कोई भी हो, यह चलता रहेगा। यह किसी भी गवर्नर से बड़ा है। समझा जाता है कि उनकी यह टिप्पणी, गवर्नर के रूप में दूसरे कार्यकाल को लेकर जारी अटकलों के बाद आई थी। अपने वेब संस्करण में पत्रिका ने राजन के दूसरा कार्यकाल न लेने की घोषणा पर लिखा है कि यह भारत के लोकप्रिय पार्लर खेल का अंत है। पत्रिका ने लिखा है कि बैंकिंग प्रणाली को साफ-सुथरा करने के लिए उन्होंने जो पहल की उससे ताकतवर तथा ऋण के बोझ से दबे भारत के शक्तिशाली उद्योगपति विचलित हो गए थे। पत्रिका ने यह भी कहा कि राजन ने भारत से धन ले जाने और लाने के नियम आसान किए पर पूंजी खाते पर नियंत्रण उस तरह खत्म नहीं किया जैसी की आप ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री से अपेक्षा की होगी।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री रघुराम राजन को 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की भविष्यवाणी का श्रेय जाता है। सितंबर, 2013 में वह रिजर्व बैंक के गवर्नर बने थे और उनका तीन साल का कार्यकाल चार सितंबर को खत्म हो रहा है। उन्हें रॉकस्टार केंद्रीय बैंकर कहा जाता है। उनको वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं में रुपये के उतार-चढ़ाव को भी नियंत्रण में रखने का श्रेय जाता है। राजन की मुद्रास्फीति को काफी हद तक नियंत्रण में रखने के लिए भी सराहना होती है। उन्हें बैंकों पर अपने बही खातों को डूबे ऋण से साफसुथरा करने के लिए दबाव डालने का भी श्रेय दिया जाता है।