वर्ष 2014-15 के दौरान देश में दलहन का उत्पादन करीब 11 फीसदी घटा है लेकिन दालों की कीमतें दो गुने से भी ज्यादा बढ़ चुकी हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, आज अरहर दाल का अधिकतम खुदरा मूल्य 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है जबकि पिछले साल इसी समय यह 85 रुपये था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच साल में अरहर की दाल का खुदरा मूल्य 74-85 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच रहा है।
अरहर के अलावा उड़द पर भी महंगाई की मार कम नहीं है। इसका भाव भी 170 रुपये किलो है। हांलाकि, पिछले हफ्ते के 187 रुपये के मुकाबले उड़द की महंगाई पर ब्रेक जरूर लगे हैं। पिछले साल उड़द का खुदरा भाव भी 98 रुपये के आसपास था।
दालों की महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार दलहन का बफर स्टॉक बनाने, कालाबाजारी और जमाखोरी पर अंकुश लगाने और घरेलू आपूर्ति सुधारने के दावे कर रही है लेकिन फिलहाल इन दावों का असर नजर नहीं आ रहा है। दिल्ली में केंद्रीय भंडार और मदर डेयरी की दुकानों पर विदेशों से मंगाई अरहर रियायती दामों पर बेची जा रही है। आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु सरकारों ने भी आयातित दालों की बिक्री शुरू की है। दालों पर स्टॉक लिमिट लागू करने के अलावा सरकार एमएमटीसी ने 5 हजार टन दालों का आयात किया था और 2 हजार टन दालों के आयात के लिए टेंडर जारी किए हैं। केंद्र ने राज्य सरकारों को एमएमटीसी के जरिये आयातित दालें खरीदने को कहा है।