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'बासमती किसानों की दुर्दशा के लिए केंद्र व राज्‍य जिम्‍मेदार'

चावल निर्यातकों ने किसानों की दुर्दशा के लिए राज्य व केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
'बासमती किसानों की दुर्दशा के लिए केंद्र व राज्‍य जिम्‍मेदार'

चंडीगढ़। पंजाब में बासमती चावल की पूसा-1509 किस्म की कम कीमतों को लेकर परेशान किसानों की दुर्दशा के लिए चावल निर्यातकों ने पंजाब सरकार और केन्द्र को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि खरीदारों से कमजोर प्रतिक्रिया के बावजूद किसानों को बासमती की इस किस्म की खेती के लिए हतोत्साहित नहीं किया गया।

व्यापारियों ने कहा कि पंजाब और हरियाणा की मंडियों में पूसा-1509 किस्म के चावल की आवक शुरू होने के साथ इसकी कीमतें 1200 से 1300 रुपये क्विंटल के आसपास हैं जोकि ग्रेड-ए किस्म के लिए 1450 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी से भी कम है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पूसा-1509 किस्म के चावल की कीमत सिर्फ 800-1000 रुपये क्विंटल के दायरे में है।

पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के निदेशक अशोक सेठी ने बताया, राज्य में पूसा बासमती-1509 किस्म की खेती के लिए किसानों को हतोत्साहित नहीं करना पंजाब और केन्द्र की विफलता है। जबकि उन्हें कई बार चेतावनी दी गई कि यह किस्म खरीदारों को स्वीकार्य नहीं है। सेठी ने दावा किया है कि पंजाब के किसानों ने नतीजों के बारे में सोचे बगैर कम अवधि वाली पूसा-1509 प्रजाति के अप्रमाणित बीज खरीदे। निर्यातकों का कहना है कि पिछले साल राइस मिलर्स ने 1509 प्रजाति के चावल में प्रोसेसिंग के दौरान ज्‍यादा टूट-फूट देखी थी। कमजोर होने के साथ-साथ यह चावल जल्‍दी काला पड़ जाता है जो विदेशी खरीदारों को मंजूर नहीं है। इसके बावजूद निर्यातकों और मिलर्स को बेवजह फसल का अच्‍छा दाम नहीं देने के लिए जिम्‍मेदार ठहराया जा रहा है। 

चावल निर्यातकों के मुताबिक बासमती की पूसा-1509 किस्‍म पंजाब और हरियाणा के लिए उपयुक्‍त नहीं है। गौरतलब है कि पूसा बासमती की इस किस्‍म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्‍थान, पूसा ने विकसित किया था और सिर्फ 90 दिनों में अच्‍छी उपज की वजह से पंजाब और हरियाणा के किसानों ने इसे हाथों-हाथ लिया। इसकी प्रति एकड़ उपज करीब 25 क्विंटन है जबकि खुशबूदार पूसा बासमती 1121 की एक एकड़ में 20 क्विंटल तक ही उपज देती है। 

 

 

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