भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने दिल्ली हाईकोर्ट में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की तीन कंपनियों रिलायंस कम्युनिकेशन, रिलायंस इंफ्राटेल और रिलायंस टेलीकॉम के बहीखातों को ‘फ्रॉड’ बताया है।
एसबीआई ने कोर्ट से कहा है कि इनके ऑडिट के दौरान फंड का दुरुपयोग, हस्तांतरण और हेरा-फेरी की बातें सामने आई है, इसलिए बैंक ने इन्हें ‘फ्रॉड’ की श्रेणी में रखा है। बैंक द्वारा कोर्ट को दी गई इन जानकारियों के बाद अनिल अंबानी की मुश्किल बढ़ सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एसबीआई इस मामले में बैंकिंग धोखाधड़ी को लेकर सीबीआई जांच की मांग कर सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने एसबीआई से अनिल अंबानी की कंपनियों के खातों को लेकर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है।
सूत्रों के मुताबिक अनिल अंबानी की तीन कंपनियों पर बैंकों का 49,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। इसमें रिलायंस इंफ्राटेल पर 12,000करोड़ रुपये और रिलायंस टेलीकॉम पर 24,000 करोड़ रुपये बकाया है।
दरअसल कोई बैंक कर्ज को ‘फ्रॉड’ तब घोषित करती है जब वो कर्ज एनपीए के दायरे में आ जाता है। एसबीआई ने कहा कि ऑडिटिंग के दौरान फंड का दुरुपयोग, हस्तांतरण और हेरा-फेरी सामने आने के बाद ही इन कंपनियों के कर्ज खातों को ‘फ्रॉड’ श्रेणी में रखा है। नियम के मुताबिक किसी बैंक खाते के ‘फ्रॉड’ घोषित किए जाने के बाद, इसकी जानकारी सात दिन के भीतर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को देनी होती है। और यदि मामला एक करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी का है तो रिजर्व बैंक को सूचना देने के 30 दिन के भीतर सीबीआई में प्राथमिकी दर्ज करानी होती है।