जीएसटी प्रणाली पूरी तरह ऑनलाइन इलेक्ट्रानिक प्रणाली पर आधारित होगी और यही नेटवर्क जीएसटी नेटवर्क जीएसटीएन कहलायेगा। उद्योग जगत के अप्रत्यक्ष कर विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटीएन कितनी दक्षता के साथ चलेगा और छोटे व्यापारी से लेकर बड़े-बड़े उद्योगों के स्तर पर यह कितनी सुलभता के साथ उपलब्ध होगा, इसी पर जीएसटी की सफलता निर्भर करेगी।
पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल की अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष बिमल जैन ने इस संबंध में भाषा के साथ बातचीत में कहा, सरकार को जीएसटी नेटवर्क के मामले में पूरी तैयारी के साथ आगे आना चाहिये। अभी तक राज्यों में वैट प्रणाली कागजी कारवाई के जरिये चलती आ रही है, अब यह पूरी व्यवस्था कागज-रहित होने जा रही है। ऐसे में जीएसटी के पूरे नेटवर्क को दक्ष और मजबूत होना चाहिये।
सरकार देश में एक जुलाई से जीएसटी प्रणाली लागू करने जा रही है। लोकसभा में जीएसटी को लागू करने संबंधी चार विधेयक को मंजूरी मिल चुकी है। जीएसटी पर गठित जीएसटी परिषद इसके लिये नियम और दूसरे जरूरी काम निपटा रही है। नियमों के पांच सैटों को मंजूरी दे दी गई है और चार अन्य पर सहमति बन गई है।
उद्योग मंडल एसोचैम की अप्रत्यक्ष कर समिति के चेयरमैन निहाल कोठारी ने कहा कि सरकार को कम से कम दो महीने नये जीएसटी नेटवर्क और मौजूदा कर प्रणाली को साथ साथ चलाना चाहिये। जीएसटी को अमल में लाने से पहले प्रणाली का परीक्षण किया जाना चाहिये।
नेटवर्क में जब 70 लाख लोग एक साथ बिलों को अपलोड करेंगे तो सिस्टम कितनी दक्षता के साथ काम करेगा यह देखने की बात है।
कोठारी ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में विभिन्न सामान और सेवाओं की कर दर में बदलाव होगा। किस सामान पर किस दर से कर लगेगा अभी यह भी तय होना है। कारोबारियों को यह समझाना है कि उनके सामान पर किस दर से कर लगेगा। सेवाओं पर भी अलग अलग दर से कर लगाने की बात है। छोटी सेवाओं पर कम दर से जबकि बड़ी सेवाओं पर 18 प्रतिशत की मानक दर से कर लग सकता है।
बिमल जैन ने कहा कि जीएसटी प्रणाली के बारे में छोटे एवं मध्यम कारोबारियों में जागरुकता लाना भी जरूरी है। जीएसटीएन में त्वरित गति के साथ चीजें अपलोड होंगी अथवा नहीं होंगी। छोटे व्यापारी इसका इस्तेमाल किस प्रकार करेंगे। दूरदराज इलाकों में कंप्यूटर प्रणाली पूरी गति के साथ काम करेगी अथवा नहीं इन सभी बातों को देखना है।
उन्होंने कहा कुल मिलाकर दो-तीन माह बदलाव का समय होगा इसमें परेशानियां सामने आयेंगी। नियम बनेंगे, दरें तय होंगी। नियम के तहत मूल्यांकन कैसे होगा इसके बारे में कारोबारियों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है।
दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी एक जुलाई से लागू हो सकता है। अब इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने पर एक वस्तु पर देशभर में एक ही दर से कर लगेगा। जीएसटी लागू होने से नोटबंदी से नकदी वाली अर्थव्यवस्था को समाप्त करने की दिशा में जो कमी रह गई थी उसमें और सुधार आयेगा। कुछ समस्यायें आ सकतीं हैं लेकिन उनका समाधान भी होगा।
मालगोदाम और लेखा साफ्टवेयर उपलब्ध कराने वाली कंपनी मार्ग ईआरपी9प्लस के प्रबंध निदेशक सुधीर सिंह ने भी जीएसटी पर एक जुलाई से अमल के संबंध में कुछ मुद्दे उठाये हैं। सिंह ने कहा कि देश में 70 प्रतिशत छोटे कारोबारी है जो डिजिटल प्रौद्योगिकी से लैस नहीं है। उनके लिये दो माह की अल्पावधि में कंप्यूटर प्रणाली को अपनाना काफी मुश्किल होगा। इसलिये सरकार को इस बदलाव को अमल में लाने के लिये उपयुक्त समय देना चाहिये। भाषा