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ई-कॉमर्स और सेवाओं के जरिये निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य

केंद्र सरकार ने बुधवार को जिस नई विदेश व्यापार नीति की घोषणा की है उसमें अगले पांच वर्षों में निर्यात को दोगुना कर 900 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। नई नीति में कृषि उत्पादों के निर्यात को अधिक प्रोत्साहनों की घोषणा की गई है।
ई-कॉमर्स और सेवाओं के जरिये निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य

इसके अलावा राज्यों के साथ निर्यात बढ़ाने के लिए काम करने के वास्ते एक निर्यात संवर्धन मिशन स्थापित करने पर जोर दिया गया है। वैसे, जानकार कह रहे हैं कि यह बेहद महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। खासकर यह देखते हुए कि पिछले तीन महीने से देश का निर्यात लगातार गिरता जा रहा है। फरवरी में तो देश से होने वाले निर्यात में 15 प्रतिशत की कमी आई है। औद्योगिक जगत सरकार की नीति से बेहद उत्साहित है और कह रहा है कि भले ही सरकार ने नई नीति लाने में एक साल की देर की हो मगर इसे देर आयद दुरुस्त आयद कहा जा सकता है। एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा कि ई-कॉमर्स और सेवा निर्यात के लिए की गई घोषणाएं बिलकुल उचित समय पर उठाए गए कदम की श्रेणी में आती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस नीति में राज्यों की जो भागीदारी सुनिश्चित की गई है वह महत्वपूर्ण है। फियो के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने कहा, ब्याज सब्सिडी योजना की जल्द से जल्द घोषणा की जानी चाहिए ताकि निर्यातकों के समक्ष एक स्थायी रूपरेखा हो जिसके आधार पर वह नए निर्यात आर्डर ले सकें। ब्याज सहायता योजना पिछले साल अप्रैल में समाप्त हो गई।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) की घोषणा करते हुए वर्ष 2019-2020 तक वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात दोगुना कर 900 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए कई तरह के प्रोत्साहनों और नई संस्थागत प्रणालियों की घोषणा की है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमन ने 2015 से 2020 तक की पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति जारी करते हुए कहा कि विनिर्माण, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने तथा कारोबार करना आसान बनाने के लिए इस नीति को सरकार के मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे महत्वपूर्ण अभियानों से जोड़ा जा रहा है। वर्ष 2020 तक विश्व व्यापार में भारत की व्यापार भागीदारी दो प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत तक पहुंचाने के लिये सरकार शुल्कों को तर्कसंगत बनाने पर भी विचार कर रही है।

राजग सरकार की पहली विदेश व्यापार नीति पेश करते हुए सीतारमन ने कहा कि निर्यात प्रोत्साहन के लिए नीति में कई तरह की योजनाओं को शामिल किया जाएगा। इसके लिए भारत से वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) और भारत से सेवा निर्यात योजना (एसईआईएस) की शुरुआत की जाएगी। सीतारमन ने कहा कि निर्यात प्रोत्साहन के लिए पूंजीगत सामान के आयात की रियायती ईपीसीजी योजना के तहत निर्यात दायित्वों में भी राहत दी जाएगी। इसके साथ ही सभी तरह के निर्यात लाभों को सेज स्थित इकाइयों को भी उपलब्ध कराया जाएगा।

वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने इस मौके पर कहा कि सरकार देश से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 2013-14 के 465.9 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2019-20 तक 900 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। निर्यातकों की 3 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी योजना की बहुप्रतीक्षित मांग के बारे में उन्होंने कहा कि मंत्रालय इस योजना के क्रियान्वयन के मुद्दे पर मंत्रिमंडल नोट जल्द तैयार करेगा। वर्ष 2015-16 के बजट में निर्यात के लिए ब्याज सब्सिडी के तौर पर 1,625 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी बढ़ाने और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत दायित्वों को निभाने के लिए विदेश व्यापार नीति में कई संस्थानों की स्थापना करने का भी प्रस्ताव किया गया है। व्यापार परिषद और राष्ट्रीय व्यापार सुविधा समिति जैसे कई संस्थान स्थापित किए जाएंगे।

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