भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कहा कि मजबूत निवेश मांग के दम पर भारत की जीडीपी वृद्धि मजबूत बनी है। इसे बैंकों तथा कॉरपोरेट जगत की स्वस्थ बैलेंस शीट, पूंजीगत व्यय पर सरकार के ध्यान देने और विवेकपूर्ण मौद्रिक, नियामक तथा राजकोषीय नीतियों से समर्थन मिला है।
रिजर्व बैंक की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था प्रतिकूल वैश्विक समष्टि आर्थिक और वित्तीय परिवेश से जूझ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था, व्यापक आर्थिक तथा वित्तीय स्थिरता के परिदृश्य में अगले दशक में वृद्धि की गति को तेज करने की अच्छी स्थिति में है।
इसमें कहा गया, ‘‘कुल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति के निर्धारित स्तर की ओर बढ़ने से खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग मांग में तेजी आएगी। बाह्य क्षेत्र की मजबूती और विदेशी मुद्रा भंडार घरेलू आर्थिक गतिविधियों को वैश्विक प्रभावों से बचाएंगे।’’
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भू-राजनीतिक तनाव, भू-आर्थिक विखंडन, वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता, अंतरराष्ट्रीय जिंस कीमतों में उतार-चढ़ाव और अनिश्चित मौसम संबंधी घटनाक्रम वृद्धि के कम होने और मुद्रास्फीति के बढ़ने का जोखिम उत्पन्न करती है।
आरबीआई ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय अर्थव्यवस्था को एआई/एमएल (कृत्रिम मेधा/मशीन लर्निंग) प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपनाने के साथ-साथ बार-बार आने वाले जलवायु झटकों से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करना होगा। वार्षिक रिपोर्ट आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की एक वैधानिक रिपोर्ट है। रिपोर्ट में अप्रैल 2023 से मार्च 2024 की अवधि के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के कामकाज और कार्यों को शामिल किया गया है।