भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने साढ़े चार साल में पहली बार बुधवार को बढ़ती महंगाई विशेषकर ईंधनों की कीमतों में तेजी के मद्देनजर ब्याज दर में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। अब यह दर छह फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी हो जाएगा। इससे बैंक कर्ज महंगा कर सकते हैं। इससे आम उपभोक्ताओं के लिए आवास और वाहन कर्ज की ईएमआई के साथ उद्योगों के लिए भी पूंजी महंगी हो सकती है।
आरबीआई एक बयान में बताया कि रेपो दर के अनुरूप रिवर्स रेपो दर भी 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर छह प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फसिलिटी दर और बैंक दर बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिए गए हैं। हालांकि, समिति ने अपना रुख निरपेक्ष बनाए रखने की घोषणा की है। छह सदस्यीय समिति ने नीतिगत दरों में बढ़ोतरी का फैसला सर्वसम्मति से किया। इससे पहले आखिरी बार जनवरी 2014 में रेपो दर बढ़ाई गई थी जब इसे 7.75 प्रतिशत से आठ प्रतिशत किया गया था।
रिजर्व बैंक ने 2018-19 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा। आरबीआई ने 2018-19 की पहली छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 4.8-4.9 प्रतिशत तथा दूसरी छमाही के लिए 4.7 प्रतिशत किया। आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि 2018-19 के लिए सामान्य मानसून की भविष्यवाणी कृषि क्षेत्र के लिए शुभ संकेत है।