देश की आर्थिक विकास दर सुस्त पड़ी है, बेरोजगारी बढ़ रही है लेकिन खुदरा महंगाई की दर लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार महंगाई पर अंकुश नहीं लगा पा रही हैं और दिसंबर में खुदरा महंगाई दर में फिर इजाफा हो गया है। दिसंबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.35 फीसदी हो गई है जबकि नवंबर में खुदरा महंगाई दर 5.54 फीसदी थी। सब्जियों खासतौर पर प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण मंहगाई का उच्च स्तर भारतीय रिजर्व बैंक के लिए मुश्किल पैदा करने लगा है। खुदरा महंगाई बढ़ने के कारण आरबीआइ के लिए रेपो रेट में कटौती करना मुश्किल होगा।
सांख्यिकी कार्यालय ने सोमवार को आंकड़े जारी किए। खाने-पीने की वस्तुएं महंगी होने से दिसंबर में खुदरा महंगाई दर ज्यादा प्रभावित हुई। दिसंबर में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर बढ़कर 14.12 फीसदी रही। नवंबर में 10.01 फीसदी थी। वहीं, पिछले साल दिसंबर में खाद्य महंगाई दर(-) 2.65 रही।
प्याज की कीमतों ने लगाया तड़का
दिसंबर 2018 की तुलना में दिसंबर 2019 के दौरान सब्जियों की कीमतों में 60.5 फीसदी का इजाफा देखने को मिला। पिछले दो माह में प्याज की कीमतें भी 50 रुपये से बढ़कर 160 रुपये तक पहुंच गई थी। दालों और उत्पादों' में मुद्रास्फीति 15.44 फीसदी दर्ज की गई, जबकि 'मांस और मछली' के मामले में यह लगभग 10 फीसदी थी।
सरकार ने 4 फीसदी के दायरे में रखने का दिया है आदेश
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित कुल खुदरा महंगाई दिसंबर 2018 में 2.11 फीसदी थी और नवंबर 2019 में 5.54 फीसदी थी। खुदरा महंगाई में पिछली बार जुलाई 2014 में 7.39 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई थी जिस वर्ष नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पहले कार्यकाल के लिए पद ग्रहण किया था। केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को महंगाई को 2 से 4 फीसदी के दायरे में रखने का आदेश दिया है।