एसबीआई का बेस रेट 10 अप्रैल से 9.85 फीसदी हो जाएगा जो कि अभी 10 फिसदी है। हालांकि स्टेट बैंक की मुखिया अरुंधति भट्टाचार्य से मंगलवार की दोपहर जब पत्रकारों ने ब्याज दरों में कटौती का सवाल किया था तो उन्होंने कहा था कि यह केवल जमा की लागत नहीं है जो इसे निर्धारित करती है। नकदी की राशि, ऋण मांग तथा प्रतिस्पर्धा से भी दरें ऊपर-नीचे होती हैं। रेपो दर एकमात्र कारक नहीं है बल्कि अन्य तत्व भी हैं।
इससे पहले मंगलवार को रिजर्व बैंक की द्वैमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद केंद्रीय बैंक ने दरों को अपरिवर्तित रखा। मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में बैंक प्रमुखों ने कहा कि फिलहाल उनके कोष की लागत काफी ऊंची है और ब्याज दर कम होने में दो-तीन महीने से अधिक समय लगेगा। अप्रैल और जून के बीच हम जमाओं के मामले में ब्याज दरों में बदलाव देख रहे हैं जिससे कोष की लागत कम हो सकती है और इससे हमें कर्ज पर ब्याज दर कम करने में मदद मिल सकती है।
हालांकि आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने जनवरी से अब तक दो बार रेपो दर में कटौती के बाद भी उसका लाभ कर्ज लेने वालों को नहीं देने को लेकर बैंकों के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया। अपने ग्राहकों को भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में कटौती का फायदा नहीं दिए जाने की कड़ी आलोचना करते हुए केंद्रीय बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि यह धारणा बकवास है कि बैंकों के धन की लागत कम नहीं हुई है। राजन ने बैंकों पर ब्याज दरों में कटौती के लिए दबाव भी बनाया।
सूत्रों का कहना है कि पहले ही केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच विवादों की खबरों मीडिया में चलती रही हैं और और केंद्र के दबाव में ही एक तरह से रिजर्व बैंक ने दो बार रेपो दर में कटौती की। इसके बावजूद सरकारी बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती नहीं किए जाने से अब केंद्र सरकार पर दबाव बन रहा था। कहा जा रहा है कि सरकार के दबाव में ही स्टेट बैंक ने दरों में मामूली कटौती करने की घोषणा की जबकि सुबह अरुंधति भट्टाचार्य ने साफ संकेत दिए थे कि अभी दरों में कटौती नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक 15 जनवरी और चार मार्च को रेपो दर में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। इसके बाद केवल दो बैंक यूनाइटेड बैंक तथा स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर ने ब्याज दरें कम की हैं।
राजन के बयान के बाद एचडीएफसी बैंक के आदित्य पुरी ने कहा कि आधार दर में कटौती जमा लागत पर निर्भर है। आईसीआईसीअसाई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर ने भी एसबीआई प्रमुख की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि यह सिर्फ रेपो दर नहीं है जिससे आधार दर में बदलाव निर्धारित होता है, यह कोष की लागत, नकदी स्थिति तथा ऋण उठाव आदि पर भी निर्भर करता है। हालांकि बैंक आफ इंडिया की चेयरपर्सन विजयलक्ष्मी अयर ने कहा, जमा लागत में कटौती का प्रभाव पिछली तिमाही में अनुभव किया गया और इससे बैंक ग्राहकों को लाभ देने के लिए प्रोत्साहित होंगे। खुदरा कर्ज लेने वालों की ईएमआई कम हो सकती है। हालांकि उन्होंने भी यह नहीं बताया कि यह कब होगा।