वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2015-16 का बजट पेश करते हुए गोल्ड मॉनेटाइजिंग योजना यानी घर में पड़े सोने से कमाई योजना का जिक्र किया था। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो मंत्रालय ने अब इसका मसौदा तैयार कर लिया है। इसके जरिये सरकार का मकसद बैंकों में सोना जमा करने वालों को एक निश्चित ब्याज देना और सरकारी खजाने में इजाफा करना है।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि योजना के मसौदे में सोने के बदले मिलने वाली ब्याज दरें बॉण्ड की ब्याज दरों से कम ही रखी गई हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश में लाखों टन सोना लोगों के घरों में यूं ही पड़ा रहता है जिसकी कोई उपयोगिता नहीं होती। सरकार चाहती है कि आभूषणों, मूर्तियों और ईंटों के रूप में इस सोने का इस्तेमाल देश के विकास के लिए किया जाए और मालिकों को हर वर्ष एक निश्चित ब्याज दर अदा की जाए। ये ब्याज दरें सोने की घटती-बढ़ती कीमतों के हिसाब से ही कम-ज्यादा होती रहेंगी। इस योजना में अन्य शर्तों के अलावा एक शर्त सरकार के पास एक साल तक सोना रखने की भी है। एक निश्चित मात्रा तक सोना जमा करने वालों से उसका स्रोत नहीं पूछा जाएगा। ज्यादा अवधि तक सोना जमा रखने वालों की ब्याज दरें भी ज्यादा तय की जाएंगी। मसौदे के मुताबिक सबसे पहले यह योजना देश के 30 शहरों में लागू की जाएगी। इस योजना का मसौदा तैयार होने के बाद अब जल्द ही इसे लागू करने की संभावना बढ़ गई है।