उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, ‘मैं व्यक्तिगत मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता लेकिन मुभुो लगता है कि यह उनके (विजय माल्या) जैसे बड़े समूहों की जिम्मेदारी है कि वे बैंकों को सम्मानपूर्वक भुगतान करें।’
उन्होंने कहा कि बैंकों के पास विजय माल्या की समूह कंपनियों की कुछ परिसंपत्तियां गिरवी पड़ी हैं और वे 9,000 करोड़ रुपये से अधिक ऋण की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा, ‘बैंकों के पास कुछ प्रतिभूतियां हैं। बैंक और अन्य एजेंसियों के पास कानूनी कार्रवाई के जरिये कुछ दबाव डालने वाले तरीके हैं ... संबद्ध एजेंसियां इनकी जांच कर रही हैं। लंबे समय से बंद पड़ी किंगफिशर एयरलाइंस के प्रवर्तक माल्या पिछले दो मार्च को भारत छोड़कर बाहर चले गए थे और ऐसा अनुमान है कि वह लंदन में हैं।
माल्या ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की अपनी समूह कंपनियों से ऋण वसूली के संबंध में उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका की सुनवाई से कुछ दिन पहले देश छोड़ा था। माल्या और किंगफिशर एयरलाइन्स पर भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के कंसोर्टियम का 7,800 करोड़ रुपये बकाया है।
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि वसूली न किए जा सकने वाले ऋण (एनपीए) की समाधान प्रक्रिया अब शुरू होगी। मैंने हमेशा कहा है कि एनपीए दो तरह के होते हैं। एक एनपीए आर्थिक माहौल के कारण होता है, उद्योग के किन्हीं खंडों में नुकसान के कारण। अब हम उन क्षेत्रों के समाधान की कोशिश कर रहे हैं।’