खुदरा के बाद थोक महंगाई दर में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक थोक महंगाई दर मार्च महीने में 3.18 फीसदी हो गई है। यह फरवरी में 2.93 फीसदी थी। खाद्य एवं ईंधन की कीमतों में तेजी के कारण थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने बढ़ गई और मार्च में 3.18 प्रतिशत पर पहुंच गई। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली। थोक महंगाई दर के ये आंकड़े तीन महीने का सबसे उच्चतम स्तर है।
फरवरी महीने में थोक मुद्रास्फीति 2.93 फीसदी तथा पिछले साल मार्च महीने में 2.74 फीसदी रही थी। मार्च 2019 के दौरान खाद्य पदार्थों और सब्जियों के दाम में तेजी देखने को मिली। सब्जियों में मुद्रास्फीति फरवरी के 6.82 फीसदी से बढ़कर मार्च में 28.13 फीसदी पर पहुंच गई। हालांकि आलू के भाव में तेजी फरवरी के 23.40 फीसदी से गिरकर मार्च में 1.30 फीसदी पर आ गई।
इससे पहले खुदरा महंगाई दर में हुई थी बढ़ोतरी
मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर में मामूली बढ़ोतरी देखने को मिली। हालांकि यह पिछले साल के मुकाबले काफी कम है। वहीं दूसरी औद्योगिक उत्पादन दर में भी 0.1 फीसदी का इजाफा देखने को मिला।
इस वजह से हुई बढ़ोतरी
सरकार की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में खाने-पीने की वस्तुओं और पेट्रोल-डीजल सहित सीएनजी, रसोई गैस और पीएनजी में वृद्धि देखने को मिली थी। मार्च महीने में खाद्य वस्तु समूह की मुद्रास्फीति बढ़कर 0.3 फीसदी हो गई जो कि फरवरी में 0.66 फीसदी घटी थी। मार्च में ईंधन और प्रकाश खंड में मुद्रास्फीति बढ़कर 2.42 फीसदी हो गई, जो फरवरी में 1.24 फीसदी थी।
नवंबर से लेकर अभी तक यह रहा हाल
दिसंबर के मुकाबले जनवरी माह में खुदरा महंगाई दर अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में खुदरा महंगाई दर 2.05 फीसदी रही। दिसंबर माह में खुदरा महंगाई दर 2.19 फीसदी रही, जो कि नवंबर महीने में 2.33 फीसदी थी।
थोक महंगाई दर में भी हुई थी कमी
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में आठ महीने के निचले स्तर पर जाकर 3.80 फीसदी रही थी। इसकी वजह ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होना रहा है। नवंबर में थोक मुद्रास्फीति 4.64 फीसदी थी, जबकि दिसंबर 2017 में यह 3.58 फीसदी थी।