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ऑनलाइन गुलजार, सुस्त बाजार

लगभग हर भारतीय के लिए दिवाली का त्योहार बचपन की यादों से जुड़ा होता है क्योंकि यही एकमात्र ऐसा त्योहार होता है जिसमें जमकर खरीदारी और तोहफों के लेन-देन का सिलसिला परवान पर होता है। लोग दिवाली के 10-15 दिन पहले से ही खरीदारी में जुट जाते थे।
ऑनलाइन गुलजार, सुस्त बाजार

 

मिठाइयों और चॉकलेटों के तोहफों से  लेकर घर-परिवार के लिए नए कपड़ों और जरूरी चीजों की खरीदारी की आपाधापी के बीच बाजार गुलजार रहते थे। लेकिन पिछले चार-पांच वर्षों से यह परंपरा नई दिशा का रुख कर चुकी है। अब लोगों की निर्भरता बाजार पर कम और माउस पर ज्यादा रहने लगी है। वजह चाहे समय का अभाव हो या किफायती मूल्य, लोगों को ऑनलाइन खरीदारी ही रास आ रही है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में सन 2014 में ई-कॉमर्स का कारोबार 17 अरब डॉलर का था जिसके सन 2019 तक आते-आते 60 से 70 अरब डॉलर तक हो जाने की उम्मीद जताई जा रही है।

ऐसा नहीं है कि दिवाली की खरीदारी के लिए सिर्फ ई-कॉमर्स का चलन ही बढ़ा है। फर्स्टहैंडल के सह-संस्थापक गौरव सिन्हा बताते हैं, 'यह सच है कि ऑनलाइन खरीदारी की लोकप्रियता जबर्दस्त तरीके से बढ़ रही है लेकिन अब भी बहुत सारे खरीदार ऑफलाइन रिटेलरों से ही खरीदारी करना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें ज्यादा विश्वास मिलता है और वे खरीदारी से पहले उत्पाद को देख और छू भी सकते हैं। ऑनलाइन खरीदारी बढऩे के साथ ही उत्पादों को लेकर शिकायतें भी बढ़ी हैं। फर्स्टडल एक ऐसा ऐप है जो उत्पाद पर शोध का अवसर प्रदान करता है और खरीदारों को अपने आसपास के क्षेत्र में उपलब्‍धता की जानकारी मुहैया कराता है।’

ऑनलाइन खरीदारी की बढ़ती लोकप्रियता से घबराकर सरकार खुदरा कारोबारियों के लिए नियमों में बदलाव करने को मजबूर हो गई है। अब सरकार चाहती है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से खरीदारी में लोगों की समान भागीदारी रहे। नए कानून के तहत रेस्तरां, मॉल, थिएटर और यहां तक कि स्थानीय बाजार भी चौबीसों घंटे खुले रह सकेंगे। श्रम मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो नए कानून का पहला मसौदा इसी महीने तैयार हो जाएगा और दिवाली तक इस पर अमल भी हो सकता है। दरअसल, डिजिटल इंडिया के शोर में मॉल और दुकानें वीरान होती जा रही हैं। हालांकि अभी तक ऑफलाइन कारोबार की सालाना बिक्री का टर्नओवर 25 अरब डॉलर का चल रहा है जबकि ऑनलाइन बिक्री सिर्फ 6 अरब डॉलर की ही है लेकिन धीरे-धीरे इसमें वृद्धि हो रही है और यही खुदरा विक्रेताओं की चिंता का कारण बनता जा रहा है।

दरअसल, अपनी सहूलियत और अच्छे मोलभाव के कारण ऑनलाइन खरीदारी का रुख करने वाले लोगों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। इंटरनेट और स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले लोग ऑनलाइन खरीदारी करना ही पसंद करते हैं क्योंकि इससे न सिर्फ उनके बाजार आने-जाने का खर्च और समय बचत है बल्कि उन्हें अच्छी खासी छूट भी मिल जाती है। खास तौर पर दिवाली के मौके पर लोगों के पास वक्त की कमी होती है और छुट्टियों का मजा परिवार के साथ ही लेना चाहते हैं, न कि बाजार का चक्कर काटते हुए वक्त गुजारना चाहते हैं। ऑनलाइन आप कभी भी, कोई भी चीज सिर्फ एक बटन के क्लिक से खरीद सकते हैं। इसके अलावा आप कूपन के जरिये ऑनलाइन खरीदारी से भी बड़ा फायदा उठा सकते हैं। देश की कई कूपन साइट फ्लिपकार्ट, आमेजन, फन्र्स एंड पीटल्स, पेटीएम, क्रलावर ऑरा आदि जैसी ऑनलाइन साइटों पर खरीदारी का लाभ दे रही हैं। ये कंपनियां त्योहारी मौसम के कारोबार में एक-दूसरे से होड़ कर रही हैं। हर कोई ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को लुभाने की कोशिश में नए उत्पाद, 90 प्रतिशत तक छूट तथा नकद राशि वापसी की योजनाएं लेकर आ रही हैं। भुगतान सुविधा प्रदान करने वाली कंपनी पेवर्ल्ड के मुख्य परिचालन अधिकारी प्रवीण धभाई कहते हैं, 'भारत में दिवाली का त्योहार पश्चिमी देशों के क्रिसमस जैसा ही होता है जिसमें लोग दिल खोलकर खर्च करते हैं। इस बार त्योहारी मौसम में ऑनलाइन कारोबारियों ने 6 अरब डॉलर के कपड़ों, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं घरेलू उत्पादों की बिक्री का अनुमान लगाया है। इस दौरान पूरे साल की बिक्री की लगभग 40 प्रतिशत बिक्री हो सकती है। इसलिए इन कंपनियों में प्रतिस्पर्धा भी पिछले साल के मुकाबले कठिन है।’ 

भारत में ज्यादातर लोग ऑनलाइन खरीदारी के लिए स्मार्टफोन या टैबलेट का ही इस्तेमाल करते हैं। हाल के एक सर्वे में पता चला है कि 60 प्रतिशत लोग स्मार्टफोन या टैबलेट का इस्तेमाल ऑनलाइन खरीदारी के लिए करते हैं। लेकिन इसके बावजूद ऑनलाइन खरीदारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऑनलाइन खरीदारों को धोखाधड़ी से बचना चाहिए क्योंकि इससे वे बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं। शायद यही वजह है कि अब भी ऑफलाइन का बाजार चल रहा है। ऑनलाइन सुरक्षा प्रदान करने वाली कंपनी क्वीक हील का कहना है कि खरीदारों को कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है। मसलन, खरीदारी के वक्त किसी पॉपअप विज्ञापन पर क्लिक न करें। इस दौरान किसी अनचाहे विज्ञापन वाले ईमेल पर भी ध्यान न दें क्योंकि बहुत संभावना रहती है कि आपका ईमेल एड्रेस हैक हो जाए। फोन पर किसी को अपनी व्यक्तिगत और गोपनीय जानकारी न दें। ईमेल पर आई शॉपिंग या बैंकिंग वेबसाइट पर कभी क्लिक न करें। हमेशा आमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसी विश्वसनीय साइटों को ही चुनें। ऑनलाइन भुगतान करते वक्त हमेशा ध्यान रखें कि वह वेबसाइट 'एचटीटीपीएस’ से ही शुरू हो और यदि उस वेबसाइट पर आपको शक हो तो नकद भुगतान करने का विकल्प ही चुनें। फेसबुक जैसी सोशल साइटों पर वैसे सर्वे में हिस्सा लेने से बचें जहां आपको मुफ्त गिक्रट की पेशकश की जा रही हो। किसी स्वतंत्र वाई-फाई के बजाय सुरक्षित वाई-फाई के जरिये ही खरीदारी करें। कई सारी ऑनलाइन धोखाधड़ी जनकल्याण के नाम पर ही संचालित होती है लिहाजा दान करने से पहले उस साइट की विश्वसनीयता सुनिश्चित कर लें। अवास्ट सिक्योरिटी फर्म द्वारा कराए गए हाल के एक सर्वे के मुताबिक भारत के लगभग 84 प्रतिशत लोग फिक्रमंद रहते हैं कि उनके फोन से उनकी व्यक्तिगत जानकारी चुरा ली जाएगी लेकिन इनमें से सिर्फ 36 प्रतिशत लोग ही सतर्कता बरतते हैं। त्योहारी मौसम में हम अक्सर अपनी सुरक्षा के प्रति बेपरवाह हो जाते हैं और इस दौरान हैकर्स अपने कृत्यों को बड़ी चालाकी से अंजाम देते हैं। लिहाजा, जब आप इस दिवाली में छूट और खरीदारी का लाभ उठा रहे हों तो आवश्यक सावधानियां जरूर बरतें। एसोचैम और पीडब्ल्यूसी के साझा अध्ययन के मुताबिक, भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग की राह में सबसे बड़ी बाधा बुनियादी ढांचा और लॉजिस्टिक नेटवर्क का अभाव है जिसके लिए ये कंपनियां जल्द ही 3000 से लेकर 6000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश कर सकती हैं। इस निवेश के जरिये ग्राहकों की धोखाधड़ी और जालसाजी से रक्षा की भी उम्मीद की जा रही है।

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