सहारा का आरोप है कि अमेरिकी कंपनी मिराक कैपिटल ग्रुप (एमसीएच) ने समझौते के तहत दो अरब डॉलर की कर्ज सहायता के नाम पर उसे बैंक ऑफ अमेरिका का फर्जी पत्र पकड़ा दिया है। इस जालसाजी से खफा सहारा का कहना है कि वह एमसीएच और इस मामले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ दीवानी एवं फौजदारी का मुकदमा दायर करेगा।
दूसरी तरफ मिराक ने फर्जीवाड़े के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह सब मनगढंत है और सहारा को आशंका थी कि वह दो अरब डॉलर का भुगतान करने में विफल रहेगा इसलिए इस समझौते से पिंड छुड़ाने के लिए सहारा इस तरह का बेबुनियाद आरोप लगा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि बैंक ऑफ अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि उसका सहारा और मिराक के सौदे से कोई लेना-देना नहीं है।
मिराक कैपिटल का परिचालन भारतीय मूल के कारोबारी सारांश शर्मा करते हैं जिन्होंने पहले दावा किया था कि वह इस सौदे को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन उनके कुछ विरोधी इसमें बाधा खड़ी करने का प्रयास कर सकते हैं। सौदे के तहत मिराक ने दावा किया था कि सहारा को प्रस्तावित कर्ज राशि बैंक ऑफ अमेरिका देगा जबकि इस बैंक के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम किसी भी तरह से इस लेनदेन के साथ नहीं जुड़े हैं।’ मिराक ने अमेरिका और ब्रिटेन में सहारा के तीन आलीशान होटल खरीदने की पेशकश की थी लेकिन उसने इन दावों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि इस सौदे में बैंक ऑफ अमेरिका से कर्ज लेने पर ही बात हुई थी।
मिराक के सीईओ सारांश शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि सहारा अपनी संपत्तियों की बिक्री के सौदे को बार-बार कम आंकता रहा है जिस कारण उनके निवेशकों एवं सेबी तथा अदालतों का समय बर्बाद हुआ। उन्होंने कहा, ‘सहारा के हालिया बयान के मद्देनजर हम पारदर्शिता लाने और स्थिति को स्पष्ट करते हुए बताना चाहते हैं कि इस सौदे को पूरा करने के लिए मिराक को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। चाहे जो भी हो, हम इन संपत्तियों को खरीदने के लिए तैयार हैं। अदालत की शर्तों के बावजूद सहारा हमेशा इन संपत्तियों को बेचने में हीलहवाली करता रहा है और अपनी संपत्ति के कम दाम आंकने का आरोप लगाता रहा है। यदि यह सौदा हो गया होता तो मुनाफे की अच्छी दर के कारण मिराक और उसके निवेशकों को फायदा होता।’
निवेशकों को धन का रिफंड देने के मामले में सुब्रत राय डिफॉल्डर पाए गए है और इसलिए अपने दो सहकर्मियों के साथ एक साल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। सहारा ने मिराक के व्यवहार को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया है। सहारा का कहना है कि इसी सौदे पर केंद्रित रहने के कारण पिछले तीन-चार महीने से हम किसी और पेशकश पर ध्यान नहीं दे पाए। अपने इस कठिन दौर में हम हैरान हैं और ठगा महसूस कर रहे हैं।