देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने सावधि जमाराशियों यानी फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर 0.50 से 0.75 फीसदी तक घटा दी है। एसबीआइ के इस कदम के बाद दूसरे बैंको की ओर से भी ब्याज दरों में कटौती किए जाने की संभावना है। आम लोगों में बचत के लिए सबसे लोकप्रिय एफडी की ब्याज दर में कटौती से जमाकर्ताओं की कमाई घटेगी। एसबीआइ ने विभिन्न अवधियों की एफडी पर ब्याज दर में कटौती की घोषणा की है। बैंक का कहना है कि बैंकिंग तंत्र में अत्यधिक तरलता होने के कारण नकदी की आवश्यकता कम है। इसके अलावा दूसरे जमा प्रपत्रों की भी ब्याज दर घटने से एफडी पर ब्याज दर घटाई गई है।
एक अगस्त से लागू होंगी नई दरें
एसबीआइ के बयान के अनुसार बैक ने 179 दिनों तक की छोटी अवधियों की जमाराशियों पर ब्याज दर में 50 से 75 बेसिस प्वाइंट यानी 0.50 से 0.75 फीसदी की कमी की गई है। लंबी अवधियों की छोटी जमाराशियों ब्याज दर 0.20 फीसदी घटाया गया है। लंबी अवधि के बल्क डिपॉजिट यानी दो करोड़ रुपये से ज्यादा की राशियों पर ब्याज दर 0.35 फीसदी घटाया गया है। घटी ब्याज दर एक अगस्त 2019 से लागू की जाएगी।
बैंकिंग क्षेत्र के रुख का मिला संकेत
इंडस्ट्री लीडर एसबीआइ द्वारा ब्याज दर घटाए जाने के बाद आने वाले समय में दूसरे बैंक भी इसी राह पर चल सकते हैं। जानकारों के अनुसार तमाम मझोले और छोटे बैंक एसबीआइ का ही अनुसरण करते हैं क्योंकि उसके बाद उन्हें ब्याज दर घटाने इसके ज्यादा असर की संभावना नहीं रहती है। इसलिए एसबीआइ का कदम समूचे बैंकिंग क्षेत्र के संभावित रुख का संकेत देता है।
घटेगी जमाकर्ताओं की ब्याज आय
भले ही नकदी प्रवाह ज्यादा होने, मांग सीमित होने और दूसरे प्रपत्रों के ब्याज दर में भी कटौती के तर्क दिए जा रहे हों लेकिन जमाकर्ताओं की ब्याज आय पर इसका असर हर हाल में पड़ेगा। सुरक्षा और सुनिश्चितता के कारण बचत के लिए एफडी सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। लेकिन लगातार ब्याज घटने से इनका आकर्षण कम हो रहा है। ब्याज दर घटने का सबसे ज्यादा असर वरिष्ठ नागरिकों पर पड़ेगा क्योंकि वे बैंकों में एफडी जमा करके उसके ब्याज से ही गुजर-बसर करते हैं।