नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जर्मनी की कार कंपनी फॉक्सवैगन पर 500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। कंपनी को 2 महीने में यह रकम जमा करवानी होगी। भारत में फॉक्सवैगन की डीजल कारों से हुए पर्यावरण प्रदूषण की वजह से यह जुर्माना लगाया गया है। एनजीटी ने कंपनी पर ये जुर्माना कार में गैरकानूनी तरीके से चीप सेट लगाने पर लगाया है।
एनजीटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कंपनी को 2 महीने के भीतर यह राशि जमा कराने को कहा है। बता दें कि एनजीटी में एक शिक्षक ऐलावदी और कुछ अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इन याचिकाओं में फॉक्सवैगन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
एनजीटी ने जनवरी में भी फॉक्सवैगन को दिया था ये निर्देश
गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इससे पहले जनवरी में भी फॉक्सवैगन को 100 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया था। दरअसल, एनजीटी ने ये फैसला फॉक्सवैगन की गाड़ियों से वायु प्रदूषण बढ़ने के मामले पर लिया है। इससे पहले भी एनजीटी फॉक्सवैगन को 100 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दे चुकी है। लेकिन कंपनी ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया था।
फॉक्सवैगन ने कारों में लगाई थी ‘चीट डिवाइस’
जांच में यह साबित हुआ था कि कंपनी ने एक डिवाइस के जरिए फर्जी तरीके से अपनी गाड़ियों से कम प्रदूषण होने का दावा किया था। एनजीटी ने 16 नवंबर 2018 को फॉक्सवैगन से कहा था कि वह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को 100 करोड़ रुपये की अंतरिम राशि जमा करवाए।
गठित की गई थी कमेटी
एनजीटी ने सीपीसीबी, भारी उद्योग मंत्रालय, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया और नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रतिनिधियों की संयुक्त टीम भी गठित की थी। इस कमेटी ने फॉक्सवैगन पर 171.34 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी। कंपनी के वाहनों से दिल्ली में नाइट्रोजन ऑक्साइड के ज्यादा उत्सर्जन से लोगों के स्वास्थ्य को हुए नुकसान की वजह से पेनल्टी की सिफारिश की गई थी।
इस मामले में एक स्कूल टीचर और अन्य लोगों ने एनजीटी में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि फॉक्सवैगन के वाहनों की बिक्री पर रोक लगाई जाए। वह उत्सर्जन के नियमों का उल्लंघन कर रही है।