भारतीय स्टेट बैंक ने शुक्रवार को जून में खत्म हुई तिमाही के नतीजे जारी किए हैं। इन नतीजों के मुताबिक उसे इस तिमाही में काफी ज्यादा घाटा हुआ है। बैंक को जून तिमाही में 4876 करोड़ रुपये का तगड़ा घाटा हुआ है। इससे पहले मार्च तिमाही में एसबीआई को रिकॉर्ड 7,718.17 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
इस घाटे का मुख्य कारण फंसे हुए कर्जों (एनपीए) की भरपाई के लिए प्रावधान करना है। शेयर बाजारों में नियामकीय फाइलिंग में एसबीआई ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में बैंक ने 2,005.5 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था।
लगातार तीसरी तिमाही में बड़ा नुकसान उठाने के बाद देश के सबसे बड़े बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि बैड लोन के असर से बैंक दिसंबर तक निपट जाएगा और इसके अच्छे नतीजे देखने को मिलेंगे।
'आने वाले समय में बैड लोन के जुड़ने की संख्या कम होगी'
बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, 'आने वाले समय में बैड लोन के जुड़ने की संख्या कम होगी। इसके अलावा डिफॉल्ट केसों को बैंकरप्सी कोर्ट ले जाया जाएगा, जिससे लोन रिकवरी तेज होगी।' यह पूछे जाने पर कि आखिर ऐसा कब होगा, जब बैंक अपने नतीजों में लाभ की स्थिति दर्ज करेगा। रजनीश कुमार ने कहा, 'यदि आप मुझसे 100 फीसदी पूछे तो यह दिसंबर तिमाही से शुरू होगा।'
एनपीए में 10.69 फीसदी की बढ़ोतरी
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून अवधि में बैंक की कुल आय बढ़कर 65,492.67 करोड़ रुपये रही, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 62,911.08 करोड़ रुपये थी। समीक्षाधीन अवधि में देश के सबसे बड़े कर्जदाता के एनपीए (फंसे कर्जे) में 10.69 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जबकि एक साल पहले की समान तिमाही में एनपीए में 9.97 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
एनपीए में दिखी कमी
हालांकि जून तिमाही के दौरान बैंक के फंसे हुए कर्ज यानी एनपीए में कमी देखने को मिली है। बैंक के अनुसार, जून तिमाही में उसका ग्रॉस एनपीए 2,12839.92 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है, इससे पहले मार्च तिमाही में बैंक का ग्रॉस एनपीए 223427.46 करोड़ रुपये था।