भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत के आर्थिक सुधारों के वास्तुकार के रूप में मनमोहन सिंह के योगदान ने एक अमिट छाप छोड़ी है।
पूर्व प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री सिंह 1982 से 1985 के बीच आरबीआई के गवर्नर भी रहे।
मल्होत्रा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, एक दूरदर्शी अर्थशास्त्री और आरबीआई के पूर्व गवर्नर के निधन पर मुझे गहरा दुख हुआ है। भारत के आर्थिक सुधारों के निर्माता के रूप में उनके योगदान ने एक अमिट छाप छोड़ी है। @आरबीआई इस बड़े शोक में राष्ट्र के साथ शामिल है।"
भारत के आर्थिक सुधारों के निर्माता सिंह का गुरुवार रात 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
जब 1991 में सिंह ने वित्त मंत्रालय की बागडोर संभाली, तब भारत का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 8.5 प्रतिशत के करीब था, भुगतान संतुलन घाटा बहुत बड़ा था और चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 3.5 प्रतिशत के करीब था।
हालात को बदतर बनाने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार केवल दो सप्ताह के आयात के भुगतान के लिए ही पर्याप्त था, जो दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था गहरे संकट में थी।
इस पृष्ठभूमि में, सिंह द्वारा प्रस्तुत केन्द्रीय बजट 1991-92 के माध्यम से नये आर्थिक युग की शुरुआत हुई।
यह स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसमें साहसिक आर्थिक सुधार हुए, लाइसेंस राज का उन्मूलन हुआ और कई क्षेत्रों को निजी तथा विदेशी खिलाड़ियों के लिए खोला गया ताकि पूंजी का प्रवाह हो सके।
सिंह लगातार दो कार्यकाल 2004-09 और 2009-14 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके परिवार में पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियाँ हैं।